Article 370 पर समाप्त हुई SC में पहले दिन की सुनवाई, याचिककर्ताओं की तरफ से Kapil Sibal ने दी ये दलीलें
सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 के निराकरण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है। याचिकाकर्ता पक्ष ने अपने वकीलों की जो लिस्ट SC को सौंपी है, उसके मुताबिक जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के विरोध में 18 वकील करीब 60 घंटा बहस करेंगे।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में बुधवार (2 अगस्त, 2023) से जम्मू-कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को निरस्त करने यानी संविधान के अनुच्छेद 370 के निराकरण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई। इस मामले के लिए एक खास संवैधानिक पीठ का गठन देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में किया गया है।
बता दें कि अनुच्छेद 370 को लेकर सुनवाई का आज पहला दिन खत्म हो गया है, संवैधानिक पीठ कल सुबह दोबारा सुनवाई जारी रखेगी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत शामिल है।
कपिल सिब्बल ने अदालत के समक्ष दी ये दलीलें
जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा हटाने और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने के 2019 के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के समक्ष सबसे पहले यह कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत में एकीकरण "निर्विवाद है, निर्विवाद था और हमेशा निर्विवाद रहेगा।"
कपिल सिब्बल ने कार्यवाही को "ऐतिहासिक" बताया और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने वाले जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की वैधता पर सवाल उठाया।
उन्होंने तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को केंद्र सरकार के "आदेश" के माध्यम से सरकार के प्रतिनिधि स्वरूप से वंचित नहीं किया जा सकता है जो "हमारे संविधान के साथ असंगत" है। उन्होंने कहा, "यह ऐतिहासिक है क्योंकि इस अदालत को इस मामले की सुनवाई में पांच साल लग गए और 5 साल तक जम्मू-कश्मीर राज्य में कोई प्रतिनिधि सरकार नहीं रही।"
सिब्बल ने जम्मू-कश्मीर में आपातकाल लगाने पर सवाल उठाया और कहा कि संविधान पीठ को संविधान के अनुच्छेद 356 की व्याख्या करनी होगी, जो "लोकतंत्र को बहाल करना" चाहता है और उस अनुच्छेद के माध्यम से "लोकतंत्र (जम्मू-कश्मीर में) को कैसे नष्ट कर दिया गया है।"
पीठ ने तय की थी सुनवाई की रूपरेखा
बेंच ने आज सुनवाई की रुपरेखा तय की और कहा- पहले कपिल सिब्बल को सुनेंगे। कोर्ट ने उन्हें कल दोपहर तक अपनी बात पूरी रखने को कहा। सिब्बल ने कहा - "इस केस में क़ानूनी के साथ साथ ऐतिहासिक तथ्यों को भी रखा जाना है। फिर भी मैं कोशिश करूंगा."
याचिकाकर्ताओं की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह बृहस्पतिवार तक अपनी दलीलें जारी रखेंगे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रमुख वकील को सभी पहलुओं पर दलीलें रखने की अनुमति देगी और बाकी वकील शेष पहलुओं पर दलीलें रख सकते हैं।
पीठ ने पहले कहा था कि इस मामले में सुनवाई सोमवार तथा शुक्रवार को छोड़कर रोजाना की जाएगी क्योंकि सोमवार और शुक्रवार शीर्ष अदालत में विविध मामलों की सुनवाई के दिन हैं। इन दिनों में केवल नई याचिकाओं पर ही सुनवाई की जाती है, नियमित मामलों पर सुनवाई नहीं की जाती है।
शीर्ष न्यायालय ने पहले कहा था कि पांच अगस्त 2019 की अधिसूचना के बाद पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर की स्थिति के संबंध में केंद्र की ओर से दाखिल हलफनामे का पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा संवैधानिक मुद्दे पर की जा रही सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।