सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार (5 फरवरी, 2024) को आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह की याचिका की सुनवाई को 5 मार्च तक टाल दिया है. संजय सिंह (Sanjay Singh) ने अपनी याचिका में ED द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के आरोप में उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती दी है. बता दें कि सांसद संजय सिंह को पिछले साल 4 अक्टूबर, 2023 के दिन प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया था.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने AAP सांसद संजय सिंह की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के फैसले को चुनौती दी. पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने संजय सिंह की गिरफ्तारी को रद्द करने की मांग वाली याचिका को खारिज किया. वहीं, पिछले साल नवंबर, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया था. आज के सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका में सुनवाई को 5 मार्च तक टाल दिया है.
AAP सांसद संजय सिंह की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने ED द्वारा की गई गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये शुरू से ही अमान्य (void ab initio) था. कारण देते हुए सीनियर वकील ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 की धारा 19 का जिक्र किया, जो ईडी के गिरफ्तारी करने के अधिकारों से जुड़ा है. वकील ने कहा कि ये धारा ED को मिली इस शक्ति के मनमाने प्रयोग के खिलाफ अंतर्निहित सुरक्षा देती है. वहीं, मामले को सुन रही बेंच ने याचिकाकर्ता से नियमित जमानत के लिए आवोदन करने की सलाह दी. साथ ही कहा कि ये फैसला याचिकर्ता को ही लेना है कि उन्हें आगे क्या करना है. जमानत के लिए अपील करने पर भी वे इस सुनवाई को जारी रख सकते हैं.
4 अक्टूबर, 2023 के दिन ED ने AAP सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी उनके घर की तालाशी लेने के दौरान की थी. ये गिरफ्तारी कारोबारी दिनेश अरोड़ा के द्वारा लगाए आरोप आधार पर की गई थी. कारोबारी ने कथित आरोप में कहा कि उसने दो करोड़ रूपये संजय सिंह को दिए थे. बाद में कारोबारी दिनेश अरोड़ा दोनों CBI और ED के लिए गवाह बनें.
पिछले महीने, दिल्ली हाईकेोर्ट ने शराब नीति घोटाले (Liquor Policy Scam) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संजय सिंह की गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने सुनवाई के दैरान कहा था कि मामले में जांच अधूरी है और ये याचिका समय से पहले की गई है. ऐसे में कोर्ट द्वारा जांच एजेंसी ED के काम में दखल देना उचित नहीं होगा.