नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ मामले में आरोप-पत्र दायर किया गया है, हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।
उच्चतम न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देते हुए गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से जुड़े मामले में गवाहों को प्रभावित नहीं करने का निर्देश दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को 2002 के गुजरात दंगों से निपटने के लिए गुजरात राज्य और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कथित रूप से बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज साजिश मामले में जमानत दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बी आर गवई (Justice BR Gavai), न्यायाधीश ए एस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Datta) की विशेष पीठ ने तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुआया है।
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने सामाजिक कार्यकर्ता को जमानत देते हुए यह कहा कि यदि न्यायाधीश की टिप्पणी पर गौर किया जाए तो किसी भी जमानत याचिका पर सुनवाई से पहले फैसला नहीं किया जा सकता, जब तक कि आरोपपत्र आदि को 226 या 32 के तहत चुनौती न दी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के लिए 'विकृत' (Perverse) शब्द का इस्तेमाल किया है और इसी के चलते तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका को अनुमति देते हुए गुजरात हाईकोर्ट का ऑर्डर खारिज कर दिया।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि तीस्ता सीतलवाड़ को इस मामले में सितंबर, 2022 में उच्चताम न्यायालय ने अंतरिम जमानत दी थी और इसके बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने उनकी नियमित जमानत हेतु याचिका को खारिज कर दिया था।
यह याचिका फिर उच्चताम न्यायालय में दायर की गई और पीठ के खंडित फैसले के बाद एक विशेष पीठ ने पहले तीस्ता सीतलवाड़ को सात दिन की अंतरिम जमानत दी जिसे फिर बाद में आज यानी 19 जुलाई, 2023 तक बढ़ा दिया गया था।