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1984 Anti-Sikh Riots: सज्जन कुमार की सजा पर Rouse Avenue Court 12 फरवरी को सुनाएगी फैसला, आज सुनवाई टली

दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े सरस्वती विहार मामले में अपना फैसला स्थगित कर दिया है. पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार पर एक भीड़ को उकसाने का आरोप है, जिसने 1 नवंबर 1984 को दो सिखों पर हमला किया और उनकी हत्या कर दी.

Sajjan kumar, Rouse Avenue Court

Written by Satyam Kumar |Published : February 7, 2025 11:58 AM IST

1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े सरस्वती विहार मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में फैसला टल गया है. राऊज एवेन्यू कोर्ट अब इस मामले में 12 फरवरी को फैसला सुनाएगी. दरअसल, 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े सरस्वती विहार मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार आरोपी हैं। ये मामला 1 नवंबर 1984 का है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के राज नगर इलाके पिता-पुत्र, सरदार जसवंत सिंह और सरदार तरुण दीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. शाम में करीब चार से साढ़े चार बजे के बीच दंगाइयों की एक भीड़ ने लोहे की सरियों और लाठियों से पीड़ितों के घर पर हमला किया था.

सज्जन कुमार की सजा पर फैसला सुरक्षित

31 जनवरी को अदालत ने सरकारी वकील मनीष रावत की अतिरिक्त दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था. अधिवक्ता अनिल शर्मा ने दलील दी थी कि सज्जन कुमार का नाम शुरू से ही नहीं था, इस मामले में विदेशी भूमि का कानून लागू नहीं होता और गवाह ने सज्जन कुमार का नाम 16 साल बाद लिया. अपर सरकारी वकील मनीष रावत ने दलील दी कि आरोपी को पीड़िता नहीं जानती थी. जब उसे पता चला कि सज्जन कुमार कौन है, तो उसने अपने बयान में उसका नाम लिया. इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता एच.एस. फुल्का दंगा पीड़ितों की ओर से पेश हुए थे और उन्होंने दलील दी थी कि सिख दंगों के मामलों में पुलिस जांच में हेराफेरी की गई. पुलिस जांच धीमी थी और आरोपियों को बचाने के लिए की गई.

सज्जन कुमार पर भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप

शिकायतकर्ताओं के अनुसार, इस भीड़ का नेतृत्व कांग्रेस के तत्कालीन सांसद सज्जन कुमार ने किया था, जो उस समय बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. आरोप है कि सज्जन कुमार ने भीड़ को हमले के लिए उकसाया, जिसके बाद दोनों सिखों को उनके घर में जिंदा जला दिया गया. इतना ही नहीं, भीड़ ने घर में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी भी की थी. इस घटना से संबंधित एफआईआर उत्तरी दिल्ली के सरस्वती विहार थाने में दर्ज की गई, जो शिकायतकर्ताओं द्वारा रंगनाथ मिश्रा आयोग के समक्ष दिए गए हलफनामे के आधार पर दर्ज की गई थी.

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(खबर IANS इनपुट के आधार पर है)