नई दिल्ली: पत्र याचिका (letter petition) भारत के न्याय प्रणाली का एक अनूठा और अभिन्न अंग है. इसके जरिए लोग सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए कोर्ट को पत्र लिख सकते हैं और अपनी परेशानियों को कोर्ट के समक्ष रख सकते हैं. आपने सुना भी होगा कि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट ने लोगों द्वारा भेजे गए पत्रों को संज्ञान में लिया और कार्यवाही शुरू की.
यदि कोई मुद्दा सार्वजनिक महत्व का होता है तो कई बार कोर्ट भी ऐसे मामलों में स्वतः संज्ञान (Suo Motu) लेती है, और कभी-कभी पत्र के माध्यम से उठाए गए सार्वजनिक महत्व के मामलों को एक जनहित याचिका के रूप में लेती है और सुनवाई करती है.
कोई भी भारतीय नागरिक पत्र के जरिए जनहित याचिका दायर कर सकता है, इसमें केवल एक शर्त है कि इसे निजी हित के लिए नहीं बल्कि सार्वजनिक हित की रक्षा करने के लिए दायर किया जाना चाहिए.
आइए जानते हैं कि कैसे पत्र याचिका दायर की जा सकती है.
पत्र याचिका दायर करने के लिए, सबसे पहले व्यक्ति को निश्चित करना होगा कि वह किस कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल करना चाहता है.
पत्र के द्वारा सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और हाई कोर्ट को अनुच्छेद 226 में अधिकार दिया गया है कि वह सार्वजानिक हितों की रक्षा करने के लिए, किसी भी तरह की याचिका पर कार्यवाही कर सकता है और नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण के लिए कोई भी आदेश पारित कर सकता है.
1. पत्र में बताना जरूरी है कि मामला कैसे जनहित से जुड़ा है. अगर कोई सबूत या साक्ष्य है तो उसकी कॉपी भी पत्र के साथ लगा सकते हैं. पत्र के जनहित याचिका में तब्दील होने पर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया जाता है और याचिकाकर्ता को भी कोर्ट में पेश होने के लिए कहा जाता है.
2. याचिकाकर्ता या तो स्वयं इस मामले पर बहस कर सकता है और अगर वह वकील चाहता है लेकिन उसके पास इसके लिए कोई साधन नहीं तो कोर्ट याचिकाकर्ता के लिए वकील मुहैया कराती है.
3. आम तौर पर पत्र सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम पर लिखा जाता है.
इस तरह से आप सार्वजानिक हितों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में पत्र याचिका दायर कर सकते हैं.