सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव के विवादित बयान पर संज्ञान लिया है. शीर्ष अदालत ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रोग्राम में दिए जस्टिस शेखर यादव (Justice Shekhar Yadav) आपत्तिजनक भाषण को लेकर समाचार पत्रों में छपी खबरों पर संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से उनके भाषण के बारे में ब्यौरा तलब किया है. बता दें कि विहिप अधिवेशन में जस्टिस शेखर यादव ने इस कार्यक्रम में कहा था कि देश बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा, कठमुल्ले देश के लिए घातक हैं. उन्होंने कहा था कि 'कठमुल्ला शब्द गलत है लेकिन यह कहने में परहेज नहीं है क्योंकि वो देश के लिए बुरा है. वो जनता को भड़काने वाले लोग है. देश आगे न बढ़े, इस प्रकार की सोचने वाले लोग हैं. उनसे सावधान रहने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान को अखबारों के माध्यम से संज्ञान में लिया है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस शेखर यादव को इस बयान पर स्पष्टीकरण देने को कहा है. इस मामले को शीर्ष अदालत ने अखबारों की रिपोर्टिंग के आधार पर संज्ञान लिया है. जस्टिस शेखर यादव ने विहिप के एक समारोह में कहा था कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है. जस्टिस शेखर यादव ने यह टिप्पणी आठ दिसंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विहिप के प्रांतीय विधिक प्रकोष्ठ एवं उच्च न्यायालय इकाई के सम्मेलन को संबोधित करते हुए की. बहुसंख्यक के अनुसार काम करने वाले कानून सहित विभिन्न भड़काऊ मुद्दों पर न्यायमूर्ति यादव के वीडियो एक दिन बाद व्यापक रूप से प्रसारित हो गये हैं. इसपर विपक्षी दलों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई और उन्होंने न्यायाधीश के कथित बयानों पर सवाल उठाए तथा इसे घृणास्पद भाषण करार दिया है.