Kerala Matrimony: हाल ही में केरल के एर्नाकुलम में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण मंच (DCDRC) ने हाल ही में केरल मैट्रिमोनी को ₹25,000 का मुआवजा (अलग से लागतों के अलावा) एक व्यक्ति को देने का आदेश दिया है. व्यक्ति ने कंज्यूमर कोर्ट (Consumer Court) में शिकायत करते हुए बताया कि मैट्रिमोनी वेबसाइट ने उसे दुल्हन खोजने के वादे को पूरा करने में असफल रही है. कंज्यूमर कोर्ट ने पाया कि केरल मेट्रीमोनी सेवा देने में असफल रहा है. साथ ही शिकायतकर्ता केरल मैट्रीमोनी की कई पीड़ितों में से एक है. कंज्यूमर कोर्ट ने साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए Kerala Matrimony को हर्जाना भरने के आदेश दिए हैं.
केरल की एर्नाकुलम जिला फोरम के अध्यक्ष (President) डीबी बिनू और सदस्य रामचंद्रन वी और श्रीविद्या टीएन ने 15 मई के दिन व्यक्ति को हर्जाना देने के निर्देश दिए थे. फोरम ने केरल मैट्रिमोनी की सेवा में कमी को देखते हुए व्यक्ति को मुआवजा देने की मांग की.
आदेश में फोरम ने बताया कि शिकायतकर्ता कई 'पीड़ितों' में से एक था, जिन्होंने सोशल मीडिया पर मौजूद सार्वजनिक विचार से प्रभावित होकर इस वेबसाइट की मदद ली थी, लेकिन वादा किया गया सेवा उन्हें भी नहीं मिली थी.
कंज्यूमर कोर्ट ने कहा,
"प्रतिवादी (Kerala Matrimony) ने आवश्यक सेवाओं के दावे किए थे और आवश्यक सेवाएं प्रदान नहीं की. साथ ही प्रतिवादी ने यह साबित करने के लिए कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया कि उन्होंने शिकायतकर्ता को वादा की गई सेवा प्रदान की है."
कंज्यूमर कोर्ट ने आगे कहा,
"शिकायतकर्ता ने अपने तर्क को पुष्ट करने के लिए सोशल मीडिया से सार्वजनिक राय भी प्रस्तुत की थी। इसलिए यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि शिकायतकर्ता प्रतिवादी के कई पीड़ितों में से केवल एक है,"
मामला मई, 2019 का है. केरल के चेरथला के एक निवासी (शिकायतकर्ता) कंज्यूमर कोर्ट में केरल मैट्रीमोनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. शिकायतकर्ता ने कंज्यूमर कोर्ट को बताया कि उसने 2018 में केरल मैट्रिमोनी की वेबसाइट पर अपना बायोडाटा दर्ज किया था.
मेट्रिमोनी वेबसाइट पर रजिस्टर करने के बाद केरल मैट्रिमोनी के प्रतिनिधि द्वारा उनके आवास और कार्यालय में संपर्क किया गया, जहां उनसे ₹4,100 की तीन महीने की सदस्यता के लिए भुगतान करने का आग्रह किया गया ताकि दुल्हन की खोज शुरू की जा सके.
शिकायतकर्ता ने आगे कहा कि पूरी राशि का भुगतान के बाद केरल मैट्रिमोनी ने उनके कॉल या संपर्क करने के प्रयासों का कोई उत्तर नहीं मिला. परेशान होकर शिकायतकर्ता ने कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए मुआवजे की मांग की. सुनवाई के दौरान केरल मैट्रिमोनी ने भी अपना पक्ष रखा. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कंज्यूमर कोर्ट (DCDRC) ने पाया कि ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं था कि केरल मैट्रिमोनी ने वादा की गई सेवाओं को पूरा किया हो.
परिणामस्वरूप, उपभोक्ता फोरम ने केरल मैट्रिमोनी को ₹4,100 का शुल्क ब्याज सहित वापस करने का आदेश दिया, इसके अलावा शिकायतकर्ता को ₹25,000 का मुआवजा और ₹3,000 मुकदमा लागत देने का भी आदेश दिया.