जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें अब बढ़ती दिखाई पड़ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस रिलीज जारी कर उन्हें आवंटित घर से मिले नकदी की फोटो को पब्लिकली उपलब्ध कर दिया है, साथ ही घटना की एक वीडियो भी जारी किया है. उम्मीद की एक किरण है कि दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मामले में गहन जांच की जरूरत है. और वहीं इन-हाउस कार्रवाई के लिए सीजेआई ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित की है. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा गया है कि वो जस्टिस यशवंत वर्मा को फिलहाल कोई न्यायिक काम नहीं दें.
दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि मेरी ओर से अब तक की गई शुरुआती जांच में बंगले में रहने वाले लोगों, गार्डनर , CPWD से जुड़े लोगों के अलावा किसी और की इस रूम में एंट्री की संभावना नहीं बनती है. दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने CJI से कहा है कि मेरी राय में इस मामले में गहन जांच की ज़रूरत है.
चीफ जस्टिस ने अपने दिए रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली में जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में आग लगने की एक घटना की सूचना पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा द्वारा दी गई थी. घटना 14 मार्च 2025 की रात लगभग 11:30 बजे हुई थी. इस आग की जानकारी मुझे 15 मार्च 2025 को मिली, जब मैं लखनऊ में होली की छुट्टियों पर था. आग लगने की सूचना मिलने पर मैंने पुलिस आयुक्त से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि आग की सूचना जस्टिस वर्मा के व्यक्तिगत सचिव ने दी थी, जो दिल्ली हाई कोर्ट के नाम पर पंजीकृत मोबाइल नंबर से की गई थी. यह जानकारी भी मिली कि आग लगने की घटना के समय, जस्टिस वर्मा भोपाल में थे और उन्हें अपनी बेटी के माध्यम से आग की जानकारी मिली. पुलिस आयुक्त ने बताया कि आग की सूचना देने के बाद, दिल्ली अग्निशामक सेवा को स्वतः ही सूचित किया गया था. लेकिन, अग्निशामक दल को अलग से सूचना नहीं दी गई थी. यह भी जानकारी मिली कि आग लगने वाला कमरा गार्ड रूम के निकट स्थित था, जहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक बटालियन तैनात है. 15 मार्च 2025 को, पुलिस आयुक्त द्वारा दी गई जानकारी के बाद, मैंने अपने सचिव को घटनास्थल पर भेजा. घटनास्थल पर पहुंचकर, उन्होंने जस्टिस वर्मा के निजी सचिव को बुलाया. जब वे पहुंचे, तो जस्टिस ने उस कमरे का दौरा किया जहां आग लगी थी. वहां की स्थिति बहुत गंभीर थी, कमरे की दीवारें काली हो चुकी थीं और फर्नीचर तथा अन्य सामान जलकर बर्बाद हो गए थे. कमरे में आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है. प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि कमरे में केवल बेकार घरेलू सामान रखा गया था और यह सभी के लिए खुला था. सुरक्षा गार्ड ने बताया कि सुबह-सुबह कुछ मलबा और जल चुके सामान को हटा दिया गया था.
Video as shared by the Commissioner of Police Delhi with the Chief Justice of the High Court of Delhi#JusticeYashwantVarmapic.twitter.com/D159fHIjMW
— सत्यम सिंह (@satyamtells) March 22, 2025
वहीं, कमरे को लेकर जस्टिस वर्मा ने कहा कि आग लगने वाले कमरे में केवल अनुपयोगी घरेलू सामान था. उन्होंने यह भी बताया कि इस कमरे का उपयोग सेवकों, माली और कभी-कभी सीपीडब्ल्यूडी के कर्मचारियों द्वारा किया जाता था. इस घटना के बाद, न्यायाधीश ने आग के कारणों के बारे में कुछ साजिश की आशंका व्यक्त की. 20 मार्च 2025 को, मैंने जस्टिस वर्मा को घटनास्थल की तस्वीरें और वीडियो भेजे। इसके बाद, मुझे जस्टिस वर्मा की हाई कोर्ट में पुनः तैनाती का प्रस्ताव प्राप्त हुआ. मैंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया क्योंकि यह न्यायपालिका के बेहतर प्रशासन के हित में था. इस घटना की जांच को लेकर पुलिस आयुक्त ने बताया कि आग लगने वाले कमरे में केवल उन लोगों का प्रवेश संभव है जो बंगले में रहते हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि इस मामले की गहन जांच की आवश्यकता है. आग लगने की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था और न्यायपालिका के प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं, और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
जस्टिस यशवंत वर्मा ने कैश मिलने के आरोप पर कहा है कि उनके घर के स्टोर रुम से बरामद कैश से उनका या परिवार का कोई संबंध नहीं है. जस्टिस वर्मा ने अपने जवाब में कहा है कि स्टोररूम में न तो मैंने और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कोई कैश रखी थी और इस मैं इस बात का कड़ा खंडन करता हूं कि कथित कैश हमारा था. यह आरोप कि यह कैश हमारे द्वारा रखी गई होगी, यह पूरी तरह से बेतुका है. कोई व्यक्ति भला स्टाफ क्वार्टर के पास एक खुले, आसानी से उपलब्ध हो दाने और आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोररूम में या आउटहाउस में कैश स्टोर क्यों करेगा. यह एक ऐसा कमरा है जो मेरे रहने के क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है और एक चारदीवारी मेरे रहने वाले हिस्से को उस आउटहाउस से अलग करती है. मैं केवल यही चाहता हूँ कि मीडिया ने मुझ पर आरोप लगाने और प्रेस में बदनाम करने से पहले कुछ जांच की होती.
सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत सिन्हा पर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है. इस जांच कमेटी में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया, और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु सिवरमन शामिल हैं. यह कमेटी दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करेगी.