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'जजों के बयान हमेशा उनके पद की गरिमा के अनुरूप होने चाहिए', सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस शेखर यादव को चेताया

कॉलेजियम ने जस्टिस शेखर यादव से कहा कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के बयान हमेशा उनके पद की गरिमा के अनुरूप होने चाहिए.

जस्टिस शेखर यादव और सुप्रीम कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : December 18, 2024 12:37 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Yadav) को विश्व हिंदू परिषद (VHP) में दिए उनके विवादास्पद भाषण के लिए फटकार लगाया है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने न्यायाधीश यादव से कहा कि उन्हें अपने संवैधानिक पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए और आगे से सार्वजनिक भाषण देते समय सतर्क रहना चाहिए. 45 मिनट तक चली सुनवाई के दौरान जस्टिस यादव ने अपने भाषण के संदर्भ और अर्थ को स्पष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन कॉलेजियम उनके स्पष्टीकरण से संतोष जाहिर करने से इंकार किया. बता दें कि ये मामला 8 दिसंबर के दिन एक वीएचपी कार्यक्रम दिए जस्टिस शेखर यादव के भाषण से शुरू हुआ था, जिसमें उन्होंने यूसीसी का समर्थन किया और समाज को बहुसंख्यक समाज के अनुरूप होने की बात कही गई थी.

जजों के आचरण और भाषण की हमेशा होती है निगरानी: कॉलेजियम

मंगलवार के दिन जस्टिस शेखर यादव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सामने हाजिर हुए. उन्हें विहिप अधिवेशन में दिए अपने भाषण के संदर्भ और अर्थ को बताना था. कॉलेजियम ने जस्टिस यादव के स्पष्टीकरण को असंतोषजनक मानते हुए उन्हें उनके भाषण के कुछ बयानों के लिए फटकार लगाई है. कॉलेजियम ने बताया कि उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का आचरण और भाषण की हमेशा निगरानी होती है. साथ ही जजों के बयान अदालत की गरिमा के अनुरूप होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने 'बयान' पर लिया था स्वत: संज्ञान

दस दिसंबर के दिन शीर्ष अदालत ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के प्रोग्राम में दिए जस्टिस शेखर यादव (Justice Shekhar Yadav) आपत्तिजनक भाषण को लेकर समाचार पत्रों में छपी खबरों पर संज्ञान लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से उनके भाषण के बारे में ब्यौरा तलब किया है. बता दें कि विहिप अधिवेशन में जस्टिस शेखर यादव ने इस कार्यक्रम में कहा था कि देश बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा, कठमुल्ले देश के लिए घातक हैं. उन्होंने कहा था कि 'कठमुल्ला शब्द गलत है लेकिन यह कहने में परहेज नहीं है क्योंकि वो देश के लिए बुरा है. वो जनता को भड़काने वाले लोग है. देश आगे न बढ़े, इस प्रकार की सोचने वाले लोग हैं. उनसे सावधान रहने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बयान को अखबारों के माध्यम से संज्ञान में लिया है.

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