"ईश्वर न तो माफ करता है न ही भूलता है." ये बात मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के इंदौर पीठ के जस्टिस दुप्पाला वेंकटरमणा ने मंगलवार को अपने विदाई समारोह में गहरी कड़वाहट के साथ यह बात कही. उन्होंने इस बात पर जोर देकर कहा कि उनका तबादला बदनीयती से की जा रही है. जस्टिस ने कहा कि उन्हें बिना किसी कारण के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय से मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था और लगता है कि उनका तबादला आदेश उन्हें परेशान करने के लिए जारी किया गया था.
आमतौर पर विदाई समारोह किसी व्यक्ति के लिए कृतज्ञता का क्षण होता है, लेकिन यह मौका उस व्यवस्था की आलोचना में बदल गया जिसने जस्टिस वेंकटरमणा की नजर में गहरी और अनुचित व्यक्तिगत कठिनाई पैदा की थी. उन्होंने स्थिर, लेकिन दर्द भरी आवाज में कहा कि यह मेरे जीवन का एक उल्लेखनीय दौर था.
जस्टिस वेंकटरमणा ने कहा,
‘‘वैसे भी लगता है कि मेरा तबादला आदेश गलत इरादे से मुझे परेशान करने के लिए जारी किया गया था. अपने गृह राज्य (आंध्र प्रदेश) से स्थानांतरित होने पर मुझे पीड़ा हुई. मैं उनके अहंकार को संतुष्ट करके खुश हूं. अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं. ईश्वर न तो माफ करता है न ही भूलता है. उन्हें भी अन्य तरीके से पीड़ा होगी.’’
जस्टिस ने आगे कहा,
‘‘मुझे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय से मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय बिना किसी कारण के स्थानांतरित किया गया था. मुझसे विकल्प मांगे गए थे. मैंने कर्नाटक को चुना था ताकि मेरी पत्नी वहां के एक अस्पताल में बेहतर इलाज हासिल कर सके, लेकिन माननीय उच्चतम न्यायालय ने मेरे चुने गए विकल्प पर विचार नहीं किया.’’
जस्टिस वेंकटरमणा ने अपनी पत्नी की पीएनईएस (पैरोक्सिस्मल नॉन-एपिलेप्टिक सीजर्स) से लड़ाई का जिक्र करते हुए यह बात कही. पीएनईएस, मस्तिष्क की गंभीर जटिलताओं से जुड़ा विकार है. जस्टिस ने बताया कि उन्होंने 19 जुलाई 2024 और 28 अगस्त 2024 को सर्वोच्च न्यायालय को औपचारिक अभ्यावेदन भेजकर अपनी पत्नी की बीमारी की गंभीरता को दोहराया था.
उन्होंने ने कहा,
‘‘..लेकिन मेरे अभ्यावेदनों पर न तो विचार किया गया, न ही इन्हें खारिज किया गया. मेरे जैसे न्यायाधीश सकारात्मक मानवीय लिहाज की अपेक्षा रखते हैं। मैं निराश और बहुत दुखी था. सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई मेरे मामले पर विचार कर सकते हैं, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है क्योंकि आज मैं पद छोड़ रहा हूं.’’
जस्टिस वेंकटरमणा अपने परिवार में पहली पीढ़ी के वकील रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं मानव के अस्तित्व के लचीलेपन, मनुष्य की संघर्ष शक्ति, गरीबी की गरिमा और सबसे महत्वपूर्ण-अडिग आशा और विश्वास का गवाह रहा हूं. उन्होंने कहा कि साधारण और रोजमर्रा के अनुभवों’’ ने उन्हें सिखाया कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है.
जस्टिस वेंकटरमणा ने स्वीकार किया कि उनका करियर संघर्षों और कड़वे अनुभवों से भरा था और इन हालात ने आखिरकार उन्हें अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि जिस क्षण से वह न्यायिक सेवा में शामिल हुए, उन्हें षड्यंत्रकारी छानबीन का सामना करना पड़ा. जस्टिस वेंकटरमणा ने कहा कि मेरे परिवार ने चुपचाप सब कुछ सहा है, लेकिन अंततः सत्य की हमेशा जीत होती है. सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने अगस्त 2023 में न्यायमूर्ति वेंकटरमणा को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट से मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव दिया था.