जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई देश के 52वें सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज बीआर गवई को CJI पद की शपथ दिलाई. वर्तमान सीजेआई ने अपने पद की शपथ हिंदी में लिया.वहीं, राष्ट्रपति भवन में हुए इस शपथ समारोह में पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहें. बतातें चलें कि सीजेआई संजीव खन्ना के रिटायर होने के बाद जस्टिस बीआर गवई देश के सीजेआई मनोनीत हुए थे, आज से वे भारत के सीजेआई बने. जस्टिस बीआर गवई 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में पदोन्नत किए गए थे. उनका ये कार्यकाल छह महीने से अधिक का होगा और वे 23 नवंबर को पदमुक्त होंगे.
24 नवंबर 1960 को अमरावती में जन्मे वर्त ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए हैं। 16 मार्च 1985 को बार में एनरोलमेंट कराने के बाद, उन्होंने अपने जीवन के पहले चरण में कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ काम किया. उन्होंने अपने करियर की शुरुआतपूर्व एडवोकेट जनरल और हाई कोर्ट के जस्टिस दिवंगत राजा एस भोंसले के साथ की. जस्टिस बीआर गवई ने इनके साथ 1987 तक साथ में काम किया. इसके बाद, जस्टिस बीआर गवई 1987 से 1990 तक स्वतंत्र रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस किया. इस दौरान जस्टिस गवई ने संवैधानिक कानून और प्रशासनिक कानून में विशेष प्रैक्टिस की. नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी वकील के रूप में कार्य किया. इसके अलावा, उन्होंने विदर्भ क्षेत्र के विभिन्न स्वायत्त निकायों और निगमों जैसे SICOM और DCVL के लिए नियमित रूप से प्रतिनिधित्व किया.
अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक, वे बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में कार्यरत रहे. 17 जनवरी 2000 को उन्हें नागपुर बेंच के लिए सरकारी वकील और लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया. 14 नवंबर 2003 को, उन्हें हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. 12 नवंबर 2005 को वे बॉम्बे हाई कोर्ट स्थायी न्यायाधीश बने. उन्होंने मुंबई में मुख्य सीट के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में विभिन्न बेंचों का संचालन किया.
24 मई 2019 को, उन्हें भारत के सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में पदोन्नत किया गया. पिछले छह वर्षों में, उन्होंने लगभग 700 बेंचों का हिस्सा रहे, जो संवैधानिक, प्रशासनिक, नागरिक, आपराधिक, वाणिज्यिक विवाद, मध्यस्थता कानून, विद्युत कानून, शिक्षा के मामलों, पर्यावरण कानून आदि से संबंधित थे. उन्होंने लगभग 300 निर्णयों का लेखन किया, जिसमें विभिन्न मुद्दों पर संविधान पीठ के निर्णय शामिल हैं. उनके निर्णयों ने कानून के शासन को बनाए रखने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों, मानवाधिकारों और कानूनी अधिकारों की रक्षा की. बता दें कि वर्तमान सीजेआई का कार्यकाल भी छह महीने का होगा, वे 23 नवंबर 2025 तक सेवा में रहेंगे.