गाजियाबाद कोर्ट की सुनवाई के दौरान वकील-जज के बीच बहस इतनी बढ़ गई की, जज को अपने बचाव के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए वकीलों पर लाठी चार्ज करना पड़ा. लीगल फ्रेटरनिटी के लिए यह घटना बेहद निंदनीय है कि कोर्टरूम में बहस इतनी बढ़ जाए कि स्थिति को शांत करने के लिए पुलिस की मदद लेनी पड़े. हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने भी एक रिज़ॉल्यूशन पास किया है. बार एसोसिएशन ने वकील के साथ हुए घटना को निंदनीय बताते हुए संबंधित जिला जज के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने गाजियाबाद की एक अदालत में वकीलों पर पुलिस द्वारा हाल में किये गए लाठीचार्ज की बुधवार को निंदा करते हुए इसे अमानवीय एवं हिंसक कृत्य करार दिया है. एससीबीए ने एक प्रस्ताव में उस न्यायाधीश के खिलाफ जांच की मांग की, जिन्होंने असहमति को लेकर उनके खिलाफ नारे लगा रहे वकीलों के एक समूह को हटाने के लिए पुलिस बल को बुलाया था.
प्रस्ताव के मुताबिक,
‘‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अनिल कुमार (जिला एवं सत्र न्यायाधीश) गाजियाबाद के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में अदालत परिसर के अंदर वकीलों पर पुलिस के अमानवीय और हिंसक कृत्य की कड़ी निंदा करते है.’’
एससीबीए ने कहा कि वह गाजियाबाद के अधिवक्ताओं के साथ एकजुटता से खड़ा है और न्याय सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सब कुछ करने का संकल्प लेता है. उसका मानना है कि अधिवक्ताओं पर की गई पुलिस कार्रवाई उत्तर प्रदेश पुलिस की ज्यादती को दर्शाती है, जो उनके अधिकारों और कानून के शासन का स्पष्ट उल्लंघन है.
प्रस्ताव में कहा गया,
‘‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अधिवक्ताओं की प्रतिष्ठा पर किसी भी तरह का हमला बर्दाश्त नहीं करेगा.’’
इसलिए एससीबीए ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उत्तर प्रदेश सरकार से आग्रह किया कि वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश और मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में आरोपी न्यायाधीश के आचरण की जांच शुरू कराएं.
एससीबीए ने भारतीय विधिक परिषद और अन्य सभी राज्य बार काउंसिल से वकीलों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने और यह सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया कि वे बिना किसी भय या उत्पीड़न के कार्य कर सकें.
गाजियाबाद की एक अदालत में 29 अक्टूबर को उस समय वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प हो गई थी, जब न्यायाधीश ने प्रदर्शनकारी वकीलों के एक समूह को अदालत कक्ष से हटाने के लिए पुलिसकर्मियों को बुलाया था.
(खबर PTI इनपुट के आधार पर लिखी गई है)