दिल्ली हाईकोर्ट ने एक वकील को अपमानजनक टिप्पणियों से अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए, अवमानना का दोषी पाते हुए, उसे चार महीने की जेल की सजा सुनाई है. फैसला सुनाने के दौरान अदालत ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के प्रति वकील द्वारा अपमानजनक भाषा के प्रयोग को लेकर ना ही कोई माफी मांगी, साथ ही 30 से 40 शिकायतें भी दर्ज कराई है. अदालत ने इस रवैये को अशोभनीय पाते हुए वकील को जेल की सजा देने के साथ-साथ 2000 रूपये का जुर्माना भी लगाया है.
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने वकील को ‘निंदनीय और अपमानजनक भाषा’ का इस्तेमाल करने का दोषी करार दिया, जो न्यायिक अधिकारियों, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों और न्यायालय के प्रति स्पष्ट रूप से अवमाननापूर्ण है.
अदालत ने कहा,
‘‘अवमाननाकर्ता का न्यायालयों और समूची न्यायिक प्रणाली के प्रति कोई सम्मान नहीं है...उसने कोई माफी नहीं मांगी है और उसका पूरा आचरण महज न्यायालयों को बदनाम करने का प्रयास है। अवमाननाकर्ता को, जो अधिवक्ता है, इस तरह के आचरण को दंडित किये बिना नहीं छोड़ा जा सकता.’’
पीठ ने कहा कि वकील ने अपने आचरण के लिए न तो माफी मांगी और न ही उसे कोई अफसोस है.
पीठ ने कहा,
‘‘इन बातों पर विचार करते हुए कि वकील ने न्यायिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों और इस अदालत के न्यायाधीशों के खिलाफ 30 से 40 शिकायतें दर्ज करवाना स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उसका इरादा अदालत को बदनाम करने के साथ-साथ अदालत की गरिमा और प्राधिकार को कमतर करना है.’’
चार महीने की कैद के अलावा अदालत ने वकील पर 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और पुलिस को उसे हिरासत में लेने का निर्देश दिया.
(खबर PTI भाषा के इनपुट से ली गई है)