शुक्रवार के दिन दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के निवास पर एक बड़ी राशि नकद मिलने की रिपोर्ट सामने आने के बाद, रिटायर्ड जस्टिस एसएन ढींगरा ने शुक्रवार को कहा कि ज्यूडिशियरी में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें व्याप्त हैं. पूर्व जस्टिस ने कहा कि यह न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का एक स्पष्ट उदाहरण है. नकद राशि आकस्मिक रूप से मिली है, ऐसे कई अन्य मामले हो सकते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने जस्टिस वर्मा के इस्तीफा देने के बजाय छुट्टी पर जाने के निर्णय की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि अगर वह इस्तीफा नहीं देते हैं, तो बचा हुआ एकमात्र विकल्प महाभियोग है.
IANS से बात करते हुए जस्टिस ढींगरा ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ तुरंत FIR दर्ज करने की मांग करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट (SC) को एफआईआर (FIR) दर्ज करने की अनुमति देनी चाहिए थी और सामान्य कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिए थी. उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी जज कानून से ऊपर नहीं है. अगर एक न्यायाधीश हत्या करता है, तो क्या सुप्रीम कोर्ट FIR दर्ज करने से रोकेगा? ऐसे मामलों में न्यायाधीशों के लिए कोई छूट नहीं है.
कथित तौर पर 15 करोड़ नकद मिलने के बाद, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को वापस से इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की, जहां उन्होंने पहले सेवा दी थी. हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (Allahabad HCBA) ने इस ट्रांसफर का कड़ा विरोध किया है. एसोसिएशन ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और अन्य न्यायाधीशों को एक पत्र लिखते हुए इस फैसले की निंदा की. पत्र में बार एसोसिएशन ने लिखा कि संदिग्ध न्यायाधीश को फिर से नियुक्त करना हाई कोर्ट की गरिमा को कमजोर करता है. बार एसोसिएशन ने कहा, "अगर जस्टिस यशवंत वर्मा पर इतनी बड़ी राशि नकद रखने का आरोप है, तो उन्हें किसी अन्य हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की बजाय एक जांच की जानी चाहिए." बार एसोसिएशन ने कॉलेजियम के निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त किया और मामले की पूरी जांच की मांग की.
इसके लिए बार एसोसिएशन ने इस मुद्दे पर सोमवार 24 मार्च को दोपहर 1:15 बजे लाइब्रेरी हाल में जनरल बॉडी की मीटिंग तय की है. बार एसोसिएशन ने आगे लिखा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में जजों की बड़ी संख्या में जगह खाली है. पिछले कई वर्षों से नए न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की गई है, जबकि न्यायपालिका पहले से ही नए मामलों की सुनवाई में देरी का सामना कर रही है. बार एसोसिएशन ने यह सवाल उठाया है कि क्या न्यायाधीशों की नियुक्ति में बार एसोसिएशन की राय को कभी भी ध्यान में रखा गया है? बार एसोसिएशन ने यह सुझाव दिया है कि इस पूरे मामले के पीछे एक बड़ी साजिश हो सकती है, जिसका उद्देश्य इलाहाबाद हाई कोर्ट को विभाजित करना है. बार एसोसिएशन ने कहा कि हम इस साजिश के खिलाफ अंत तक लड़ेंगे.
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इन-हाउस प्रोसिडिंग के अनुसार आंतरिक जांच शुरू किया है. इन-हाउस प्रक्रिया के अनुसार, CJI न्यायपालिका के न्यायाधीशों के आचरण के खिलाफ शिकायतें प्राप्त करने के लिए सक्षम हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जब एक फायर बिग्रेड दल जस्टिस के निवास पर आग बुझाने के लिए गया, तब एक बड़ी राशि नकद मिली, उस समय जस्टिस वर्मा घर पर नहीं थे.