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Delhi Court's Oldest Cases! राउज एवेन्यू कोर्ट ने लंबित मुकदमों का जारी की सूची, 20 साल से अधिक के 118 मुकदमे पेंडिंग

राउज एवेन्यू कोर्ट के नोटिस बोर्ड पर चिपकी लंबित मामलों की सूची

लंबित मुकदमों को लेकर ऑफिसियल रिकार्ड कहती है कि दिल्ली की जिला अदालतों, जिसमें राउज एवेन्यू कोर्ट और तीस हजारी कोर्ट, में करीब 1.17 लाख मुकदमे लंबित हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि जिला अदालत 20 साल से अधिक के लंबित मामलों की सूची जारी कर उसका जल्द से जल्द निपटारा करे.

Written by Satyam Kumar |Published : August 26, 2024 12:20 PM IST

राउज एवेन्यू कोर्ट परिसर. नोटिस बोर्ड. पहला मुकदमा. सीबीआई बनाम सीके त्यागी. 37 साल चार महीने चौबीस दिन से लंबित हैं. बहस के स्टेज पर हैं. आप सोच रहे होगे कि मैंने इतनी एक्यूरेसी के साथ कैसे रखा या यह भी सोच रहे होंगे कि अगर मुकदमे इतने लंबित रहे हैं तो आरोपियों की चांदी रही होगी. तो हम आपको बता दें कि राउज एवेन्यू कोर्ट ने अपने नोटिस बोर्ड पर 20 साल से अधिक केस को अर्जेंट हियरिंग (Urgent Hearing) मोड में रखा है. अदालत जल्द से जल्द इन मामलों की निपटारा करने को तत्पर है.

दिल्ली की जिला अदालतों में 1.17 लाख मुकदमे पेंडिंग

लंबित मुकदमों को लेकर ऑफिसियल रिकार्ड कहती है कि दिल्ली की जिला अदालतों, जिसमें राउज एवेन्यू कोर्ट और तीस हजारी कोर्ट, में करीब 1.17 लाख मुकदमे लंबित हैं. लंबित मुकदमों की इतनी बड़ी संख्या से नाराजगी जाहिर करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने अधीनस्थ न्यायालयों को 20 साल से अधिक के रूके मामलों की सूची सार्वजनिक कर उन पर सुनवाई करने को कहा है.

राउज एवेन्यू कोर्ट ने 20 साल से अधिक लंबित मामलों की सूची सार्वजनिक की है. इस सूची के अनुसार, अदालत में 20 साल से अधिक मामलों की संख्या 118 है. जबकि तीन दशक से अधिक के मामले की संख्या 9 है. 118 लंबित मामलो में से 59 मुकदमे एविंडेंस जांच (गवाही) के स्टेज पर है. वहीं 11 मुकदमें फ्रेमिंग ऑफ चार्जेस के स्टेज पर है. 5 मामले पैंतीस साल से अधिक समय से लंबित हैं.

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सबसे लंबा मामला: 37 साल 4 महीने 24 दिन पुराना

राउज एवेन्यू कोर्ट में सबसे पुराना मामला 37 साल 4 महीने 24 दिन पुराना है. सीबीआई बनाम एसके त्यागी (CBI vs SK Tyagi) में जांच एजेंसी ने राजकुमार कर्णवाल और मनीष कुमार के खिलाफ अलग-अलग मामले दर्ज किए थे.  लांसर हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के दो निदेशक और कॉरपोरेशन बैंक के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी, आरोप लगाते हुए कि उन्होंने लोन लेने के लिए जाली दस्तावेज (Fake Documents) बनाए, जिससे बैंक को 27 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. साल 2017 में सीबीआई ने  इन निदेशकों के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी. मामला अदालत में बहस के दौर में हैं.