Complete Trial Wiithin A Year: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के एक फैसले से हैरानी जताई है. पटना हाईकोर्ट ने अपने अधीनस्थ एक अदालत को निर्देश दिया कि वे अपराधिक मुकदमे की कार्यवाही साल भर के अंदर पूरा करें. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले से हैरानी जताते हुए कहा कि उच्च न्यायालय को ऐसे फैसले सुनाते वक्त असल परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए. ट्रायल कोर्ट के समक्ष पहले से ही कई सारे मुकदमे लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद बार एसोसिएशन बनाम उत्तर प्रदेश एवं अन्य मामले में दिए अपने ही फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ट्रायल कोर्ट किसी तय समय-सीमा के अंदर मुकदमे के निपटारे का निर्देश नहीं दे सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के इस फैसले को पटना हाईकोर्ट के इस आदेश को अपने दिशानिर्देश के विरूद्ध माना है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस जार्ज ऑगस्टीन मसीह की खंडपीठ जमानत की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में पटना हाईकोर्ट के जमानत नहीं देने के फैसले को चुनौती दी गई थी.
पटना हाईकोर्ट के जमानत नहीं देने के आदेश में एक निर्देश पर जज की निगाह पड़ी, जिसमें उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया था कि वे साल भर के अंदर इस मामले की कार्यवाही पूरी करें.
पीठ ने कहा,
"उच्च न्यायालय बिना विचार किए ही ऐसे निर्देश जारी कर रहे हैं. उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि राज्य में अपराधिक मामलों की बड़ी संख्या पहले से ही लंबित है."
पीठ ने आगे कहा,
"मुकदमा लंबित रहने तक अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा करने का मामला बनता है. इस उद्देश्य के लिए, अपीलकर्ता को आज से अधिकतम एक सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा. ट्रायल कोर्ट अपीलकर्ता को उचित शर्तों और नियमों के आधार पर ट्रायल लंबित रहने तक जमानत पर रिहा करेगा."
सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता (आरोपी) को जमानत देने की मंजूरी दे दी है. वहीं, ट्रायल कोर्ट को जमानत के नियम एवं शर्तो को तय करने को कहा है.