प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई को लेकर राज्यसभा में सरकार से जबाव मांगा गया था. इस प्रश्न को अतारांकित श्रेणी में रखा गया था. यह जानकारी सीपीआई (एम) CPI(M) के राज्यसभा सांसद AA रहिम द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में वित्त मंत्रालय ने दिया. जबाव में केंद्र सरकार ने संसद को सूचित किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पिछले 10 वर्षों में राजनीतिक नेताओं के खिलाफ 193 मामले दर्ज किए हैं और इनमें से केवल दो मामलों में सजा सुनाई गई है, जबकि अन्य किसी भी आरोपी को मामले में मेरिट पर बरी नहीं किया गया है. आइये जानते हैं कि बाकी सवालों के जबाव में केन्द्र सरकार ने क्या कहा...
वित्त मंत्रालय ने इन सवालों के जबाव में यह भी कहा कि MPs, MLAs और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ दर्ज मामलों का डेटा पार्टी और राज्यवार नहीं रखा जाता है. संसद में यह जबाव वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने रखा हैं.
वहीं, सीपीआई(एम) के सांसद ने सरकार से पूछा था कि,
वित्त राज्य मंत्री ने 18 मार्च के दिन संसद में जबाव रखा है. वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि पिछले दस सालों में 193 नेताओं के खिलाफ ED ने मामला दर्ज किया है. वहीं, पार्टी और राज्य के विषय पर सरकार ने कहा कि डेटा इस तरह से नहीं रखी जा रही है. सरकार द्वारा रखे डेटा पर गौर करेंगे, तो साल 2022 से 2023 के बीच में सबसे ज्यादा ED मामले यानि 32 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. साल 2020-21 और 2023-24 में 27 मुकदमे दर्ज किए गए है.
दूसरे सवाल का जबाव रखते हुए वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि अब तक इस मामले में लगभग दो नेताओं का दोष साबित हुआ है.
तीसरे सवाल के जबाव में सरकार ने कहा कि इस तरह की कोई डेटा नहीं रखी जा रही है. चौथे सवाल का केन्द्र सरकार ने जबाव देते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) भारत सरकार की एक प्रमुख कानून प्रवर्तन एजेंसी है. इसे धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA) के प्रशासन और प्रवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. ED उन मामलों की जांच करता है जिनमें विश्वसनीय साक्ष्य या सामग्री होती है. यह एजेंसी राजनीतिक संबद्धताओं, धर्म या अन्य कारकों के आधार पर मामलों में भेदभाव नहीं करती है. प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई हमेशा न्यायिक समीक्षा के लिए खुली होती है. यह विभिन्न न्यायालयों के प्रति उत्तरदायी है, जैसे कि न्यायिक प्राधिकरण, अपीलीय न्यायाधिकरण, विशेष न्यायालय, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय.