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'जज खुद को देवता ही न मानने लगें', बंगाल दौरे पर CJI Chandrachud बोले, बगल में CM ममता बनर्जी भी मौजूद रहीं

सीएम ममता बनर्जी ने अदालतों को न्याय का मंदिर के जैसा बताने पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आपत्ति जताते हुए कहा कि अदालत को 'न्याय का मंदिर' कहना और जजों को 'देवताओं' की संज्ञा देने में गंभीर खतरा है.

पश्चिम बंगाल दौरे पर सीएम ममता बनर्जी से मिले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (2)

Written by Satyam Kumar |Updated : June 30, 2024 12:00 PM IST

Calling Courts As Temple Of Justice: हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachdu) पश्चिम बंगाल दौरे पर गए हैं. इसी क्रम में शनिवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालत को 'न्याय का मंदिर' कहना और जजों को 'देवताओं' के समान समझने में गंभीर खतरा है. सीजेआई ने ये बातें अपने वक्तव्य के दौरान कहीं. इससे पहले सीएम ममता बनर्जी ने अदालतों को न्याय का मंदिर के जैसा बताया था. यह वाक्या दो दिवसीय 'समकालीन न्यायिक विकास'(Conference On Contemporary Judicial Developments) पर आयोजित सम्मेलन के दौरान हुआ, जहां भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दोनों मौजूद रहें.

सीजेआई ने आपत्ति जताई,

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"अक्सर ऐसा होता है कि जब हमें माननीय या लॉर्डशिप या लेडीशिप कहकर संबोधित किया जाता है, तो इसमें बहुत बड़ा खतरा होता है जब लोग कहते हैं कि न्यायालय न्याय का मंदिर है. 'गंभीर खतरा' यह है कि हम खुद को मंदिरों की देवताओं की तरह न देखने लगें."

सीजेआई ने आगे कहा,

"जब उनसे (जजों से) कहा जाता है कि अदालत न्याय का मंदिर है तो वे चुप हो जाते हैं, क्योंकि मंदिर में न्यायाधीशों को देवता के समान स्थान प्राप्त है."

सीजेआई ने आगे बताया,

"मैं न्यायाधीश की भूमिका को लोगों के सेवक के रूप में पुनः स्थापित करना चाहूँगा. और जब आप खुद को ऐसे लोगों के रूप में देखते हैं जो दूसरों की सेवा करने के लिए हैं, तो आप करुणा, सहानुभूति, न्याय करने की धारणा को लाते हैं, लेकिन दूसरों के बारे में निर्णयात्मक नहीं होते."

सीजेआई ने कॉन्फ्रेंस के दौरान संविधान के महत्व की चर्चा भी की. 

सीजेआई बोले,

"संविधान केवल राज्यों और उसके नागरिकों, या संघ या राज्यों, या राज्यों और राज्यों के बीच संवाद नहीं है. यह समाजों के भीतर और उनके बीच संवाद है. संविधान की नैतिकता स्वयं समाज के हर घटक को संबोधित करती है. उन्होंने कहा कि आपराधिक मामले में किसी को सजा सुनाते समय भी न्यायाधीश करुणा की भावना के साथ ऐसा करते हैं, क्योंकि अंत में एक इंसान को सजा दी जाती है."

सीजेआई ने जजों को आम नागरिकों से सहानुभूति रखने को कहा है. इसके लिए न केवल उच्च न्यायालयों बल्कि जिला अदालतों के जजों से भी आग्रह किया है. सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका से जुड़ने की शुरूआत जिला अदालतों से होती है.

सीजेआई ने कहा,

"इसलिए संवैधानिक नैतिकता की ये अवधारणाएं, जो मुझे लगता है, न केवल सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए बल्कि जिला न्यायपालिका के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि आम नागरिकों की भागीदारी सबसे पहले जिला न्यायपालिका से शुरू होती है."

समकालीन न्यायिक विकास विषय को लेकर आयोजित कॉन्फ्रेंस में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने जजों की भूमिका, न्यायपालिका से लोगों का जुड़ाव और अन्य मौजूदा मुद्दों पर भी चर्चा की.