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वेश्यालय की सुरक्षा की मांग को लेकर एडवोकेट पहुंचे थे मद्रास HC, पहले याचिका खारिज हुई फिर लगा दस हजार का जर्माना, बात यही नहीं रूकी 

वेश्यालय अच्छे से चलाने के लिए एडवोकेट ने सुरक्षा की मांग की थी. साहब निवेदन लेकर मद्रास हाईकोर्ट पहुंचे. मद्रास हाईकोर्ट ने सबसे पहले याचिका खारिज की और फिर वकील इस तरह की याचिका के लिए दस हजार का जुर्माना लगाया

Written by Satyam Kumar |Published : July 25, 2024 7:49 PM IST

Seeking Protection To Run Brothel: वेश्यालय अच्छे से चलाने के लिए एडवोकेट ने सुरक्षा की मांग की थी. साहब निवेदन लेकर मद्रास हाईकोर्ट पहुंचे. मद्रास हाईकोर्ट ने सबसे पहले याचिका खारिज की और फिर वकील इस तरह की याचिका के लिए दस हजार का जुर्माना लगाया. उसके बाद मद्रास हाईकोर्ट ने वकील को अपना बार इनरोलमेंट, डिग्री सर्टिफेकट अदालत के सामने लाने को कहा है. साथ ही अदालत ने तमिलनाडु और पुडुचेरी बार काउंसिल को भी एनरोलमेंट कराने वाले वकीलों के उद्देश्य की परख करने के निर्देश दिए हैं.

मद्रास हाईकोर्ट में जस्टिस बी पुगालेन्धी की पीठ सामने वेश्यालय चलाने की मांग वाली याचिका सुनवाई के लिए लाया गया. जस्टिस सुनते ही बौखला गए.  याचिका खारिज कर दस हजार का जुर्माना लगाया है. बार काउंसिल को भी सख्त निर्देश दिया कि ऐसे लोगों  की वजह से बार काउंसिल का रेपुटेशन समाज में खराब होता जा रहे है.

अदालत ने कहा,

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"यह अदालत  हैरान है कि एक आदमी जो वकील के भेष में वेश्यालय चलाने का दावा कर रहा है और इस वेश्यालय को चलाने के लिए सिक्योरिटी की मांग करते हुए यह रिट याचिका दायर की है,

याचिकाकर्ता राजा मुरूगन अदालत के सामने याचिका लेकर गए. उन्होंने दावा किया कि वह "फ्रेंड्स फॉर एवर ट्रस्ट नामक ट्रस्ट के संस्थापक” है जो अपने सदस्यों और ग्राहकों के लिए सेक्स संबंधी सेवाओं देते हैं.

मुरुगन ने यह भी तर्क दिया कि तमिलनाडु इममोरल ट्रैफिकिंग (रोकथाम) अधिनियम सेक्स वर्क को अवैध घोषित नहीं करता है. उन्होंने बुद्धदेव कर्मकार बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि सेक्स वर्करों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए.

मद्रास हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज किया. उसने

इममोरल ट्रैफिकिंग (रोकथाम) अधिनियम, 1956 को अनैतिकता के व्यावसायीकरण और महिलाओं की तस्करी को रोकने के उद्देश्य से लागू किया गया है. यह अधिनियम सेक्स वर्क को अवैध घोषित नहीं करता है. हालांकि, यह वेश्यालय केंद्रों को चलाने पर रोक लगाता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि वयस्क लोग सेक्स कर सकते हैं, लेकिन लोगों को बहला-फुसलाकर यौन गतिविधियों में शामिल करना अवैध है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने उपर्युक्त निर्णय में कहा है कि स्वैच्छिक सेक्स वर्क अवैध नहीं है, लेकिन वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है,"

अदालत ने इस टिप्पणी के बाद वकील को अपने डिग्री की पूरी जानकारी देने को कहा है. उसे अपना एनरोलमेंट नंबर, डिग्री आदि अदालत के रिकार्ड पर रखने के निर्देश दिए हैं.