सुप्रीम कोर्ट, देश की सबसे बड़ी अपीलीय अदालत. न्याय की मांग करते हुए यहां जाने पर कितने ही लोग झिझकते होंगे, सोचते होंगे कि कितना खर्चा आएगा. आम वादी हाई कोर्ट और जिला अदालत के वकीलों के चक्कर महसूस कर चुके होते हैं. हालांकि, इस बात को सुप्रीम कोर्ट भी महसूस करती है, मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं क्योंकि कई बार सुप्रीम कोर्ट में किसी वादी के आने पर बड़ी संयमता के पेश आना आना. दूसरा, युवा वकीलों से हालिया वकील को जान आप भी समझ जाएंगे कि देश की सर्वोच्च न्यायालय को अपने दायित्व और असल परिस्थितियों को लेकर कितना सजग है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ हाल ही में युवा वकीलों को गरीब वादियों की सहायता के लिए आगे आने का अनुरोध किया है. अदालत ने माना कि कई वादी साधनों या जागरूकता की कमी के कारण वकील की सेवाएं नहीं ले पाते हैं, ऐसे में युवा वकीलों को अपनी भूमिका निभाते हुए इन वादियों की मदद करनी चाहिए. यह केवल कानूनी पेशे की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के प्रति एक नैतिक दायित्व भी है. अदालत ने जोर देकर कहा कि युवा वकीलों को बिना किसी अपेक्षा के वादियों को सर्वोत्तम कानूनी सहायता प्रदान करनी चाहिए. यह कदम न केवल वादियों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है. जब वकील बिना किसी स्वार्थ के गरीब वादियों की मदद करते हैं, तो वे न्याय की प्रक्रिया को अधिक सुलभ बनाते हैं.
एक मामला साझा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकील संचार आनंद ने दो वर्षों में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने के लिए 14 बार अदालत में उपस्थित हुए. याचिकाकर्ता, जो सीमित साधनों वाला व्यक्ति था, वकील की सेवाओं के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं दे सका. इसके बावजूद, वकील ने इस मामले में न्यायालय की सहायता करने के लिए समर्पित रूप से काम किया. यदि इस तरह से युवा वकील गरीब वादियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए स्वेच्छा से आगे आते हैं, तो यह समाज को एक स्पष्ट संदेश देगा कि कानूनी पेशा केवल सिद्धांत में नहीं, बल्कि व्यवहार में भी न्याय तक पहुंच और कानून के समक्ष समानता के अधिकार के लिए खड़ा है. लोगों को न्याय पाने की राह में वित्तीय संसाधनों की कमी से रूकावट नहीं होनी चाहिए. सभी वर्गों के लोगों को, जो अपनी शिकायत लेकर अदालत में आना चाहते हैं, उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान की जानी चाहिए. यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुकदमेबाजी की लागत में वृद्धि न हो और प्रक्रिया में अनावश्यक देरी न हो. अदालत ने यह भी बताया कि वकील केवल मुकदमे को सौहार्दपूर्ण ढंग से समाप्त करने में मदद नहीं करते, बल्कि वे पक्षों के बीच आपसी सहमति से समझौता करने की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. यह विशेष रूप से श्रम और वैवाहिक मामलों में महत्वपूर्ण है, जहां विवादों का समाधान आपसी सहमति से किया जा सकता है.
(खबर भाषा एजेंसी इनपुट के आधार पर है)