नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसके तहत हाईकोर्ट ने गैंगरेप के दोषी कैदी को बच्चा पैदा करने के लिए पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था.
जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने ये आदेश राजस्थान सरकार की ओर से दायर आपराधिक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए है.
राजस्थान हाईकोर्ट ने 14 अक्टूबर को देश में पहली बार गैंगरेप के दोषी कैदी को बच्चा पैदा करने के लिए पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था. नाबालिग से गैंगरेप के अपराध में 22 साल का दोषी राहुल बघेल पॉक्सो एक्ट के तहत अलवर जेल में बंद हैं.संभवतया राजस्थान के साथ ही ये देश का भी पहला मामला रहा जब गैंगरेप के किसी दोषी को बच्चा पैदा करने के लिए पैरोल दी गयी.
राजस्थान सरकार की और से सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष सिंघवी ने पक्ष रखते हुए कहा कि राजस्थान पैरोल रूल्स के अनुसार रेप या गैंगरेप के मामलों में दोषी को पैरोल नहीं मिल सकता और न ही ऐसे दोषियों को ओपन जेल में भेजा जा सकता है, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने पत्नी के मौलिक व संवैधानिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए पत्नी की याचिका स्वीकार करते हुए ये आदेश दिए हैं जो अवैधानिक है.
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने सरकार की ओर से हाईकोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कहा गया कि पैरोल किसी भी कैदी के लिए एक मौलिक अधिकार नहीं है.इस तरह पैरोल पर रिहा करने से पॉक्सो एक्ट जैसे मामले में दोषियों के लिए एक नया रास्ता तैयार होगा जिससे समाज में गलत संदेश जाएगा.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस फैसले के बाद से ही गंभीर मामलों में जेल में बंद कैदियों की ओर से पैरोल के प्रार्थना पत्र बढ़ गए है इससे कानूनी समस्याए पैदा होगी.
सरकार के अनुसार ऐसे तो सभी कैदी बच्चा पैदा करने के लिए पैरोल मांगेंगे और इससे पूरे प्रदेश में कैदियों को पैरोल देने की बाढ़ आ जाएगी. साथ ही दुष्कर्म जैसे मामलों में शीघ्र पैरोल मिलने से ना केवल पीड़ितों में संदेह पैदा होगा, बल्कि न्यायपालिका के प्रति भी आम जनता के बीच गलत संदेश जाएगा.
बहस सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के 14 अक्टूबर के आदेश पर रोक लगाते हुए आरोपी राहुल बघेल को नोटिस जारी किया है.
गौरतलब है राजस्थान हाईकोर्ट ने बच्चा पैदा करने के लिए पहली बार 5 अप्रैल 2022 को आदेश दिया था. इसके बाद से ही राजस्थान की अलग अलग जेलों में बंद कई कैदियों के मामले में इस तरह की याचिकाए दायर हो रही हैं.