बॉम्बे हाई कोर्ट में कस्टम्स प्राधिकरण ने स्कोडा ऑटो वोल्क्सवैगन इंडिया से 1.4 बिलियन डॉलर कस्टम्स की मांग को सही ठहराते हुए कहा कि जर्मन ऑटोमेकर अपने विभिन्न कार मॉडलों के 99.7 प्रतिशत भागों का आयात कर रहा है, जो कि एक तरह से पूरे कार का आयात है. साथ ही कस्टम ड्यूटी को लेकर जहां अन्य शीर्ष ऑटोमोबाइल कंपनियां जैसे वोल्वो, मर्सिडीज, मारुति सुजुकी, बीएमडब्ल्यू आदि 30 प्रतिशत की दर से कस्टम ड्यूटी का भुगतान कर रही हैं, जबकि वोक्सवैगन केवल 10 प्रतिशत का भुगतान कर रहा है.
जस्टिस बर्जेस कोलाबावाला और फिर्दोश पूनिवाला की बेंच को बताया गया कि वोल्क्सवैगन की तरह भागों का आयात करने वाली 10 अन्य प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियां 30 प्रतिशत कस्टम्स ड्यूटी का भुगतान कर रही हैं, जबकि वोल्क्सवैगन केवल 10 प्रतिशत का भुगतान कर रहा है.
कस्टम्स प्राधिकरण की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमणी ने कहा कि वोक्सवैगन 'विक्टिम कार्ड' खेल रहा है जबकि उन्हें कानून का पालन करने के लिए कहा जा रहा है. कस्टम्स प्राधिकरण का कहना है कि स्कोडा ऑटो वोक्सवैगन इंडिया अपने ऑरंगाबाद प्लांट में विभिन्न कार मॉडलों के लिए 99.7 प्रतिशत तक पार्ट्स का आयात कर रहा है, जो कि प्रभावी रूप से एक पूरी कार का आयात कर रहा है.
बेंच शुक्रवार को सुनवाई जारी रखेगी, जहां एएसजी अपनी बात रखेंगे.
वोक्सवैगन के ऑरंगाबाद प्लांट में केवल कुछ सामग्री जैसे कि 'फर्स्ट एड किट्स, केबल्स, डोंगल्स और डोर ब्रैकेट्स' ही आयात किए जा रहे हैं. कंपनी के पॉर्ट्स का ऑर्डर आमतौर पर जर्मनी और मैक्सिको में 'CKD केंद्रों' पर भेजा जाता है, जहां सभी पुर्जों को एकत्रित किया जाता है और फिर भारत में आयात कर असेंबल किया गया. इन मॉडलों में ऑक्टेविया, सुपर्ब, कोडियाक, जेट्टा और टिगुआन शामिल हैं. समूह पर आरोप है कि उसने अलग-अलग पॉर्टस के तौर पर इन कारों का आयात कर सीमा शुल्क अधिकारियों को गुमराह किया और उच्च आयात शुल्क से बचने की कोशिश की. इसे लेकर कस्टम अधिकारियों ने वोक्सवैगन पर 1.4 बिलियन डॉलर कस्टम ड्यूटी देने को लेकर नोटिस जारी किया है.