बिहार में लगातार हो रहे पुल हादसे को लेकर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए पटना हाई कोर्ट भेजा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर बिहार सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को नोटिस जारी किया है. आज सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि चार हफ्ते में केस से जुड़ी फ़ाइल को पटना हाई कोर्ट भेजें. मामले से जुड़े पक्षकार 14 मई को पटना हाई कोर्ट के सामने पेश करें. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट से अनुरोध किया है कि वो तेज़ी से सुनवाई कर इस याचिका का निपटारा करें.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना (CJI Sanjiv Khanna) और जस्टिस संजय कुमार (Justice Sanjay Kumar) की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य द्वारा प्रस्तुत काउंटर हलफनामे में जो जानकारी दी गई है, उसके आधार पर इस याचिका को पटना हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का निर्णय लिया है. सीजेआई ने कहा, "हमने काउंटर का अवलोकन किया है और इसे पटना हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर रहे हैं."
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि तीन निर्माणाधीन पुल गिर गए हैं और संबंधित अधिकारियों को कुछ समय के लिए निलंबित किया गया था. जस्टिस कुमार ने प्रत्युत्तर में कहा कि "सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं." बिहार सरकार के वकील ने बताया कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है. राज्य सरकार के वकील ने आगे बताया कि अब तक 10,000 से अधिक पुलों का निरीक्षण किया गया है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि "हम इसलिए ही मामले को हाई कोर्ट को ट्रांसफर कर रहे हैं, ताकि वे इसे मासिक आधार पर मॉनिटर कर सकें."
पीठ ने आदेश दिया कि "विवाद की प्रकृति को देखते हुए, हम मानते हैं कि वर्तमान याचिका को पटना हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया जाना चाहिए, जहां समय-समय पर उचित और त्वरित सुनवाई की जा सके." सीजेआई ने रजिस्ट्रार को निर्देश दिया कि वह चार सप्ताह के भीतर फाइलों को पटना हाई कोर्ट में ट्रांसफर करे और सभी पक्षों को 14 मई, 2025 को पटना हाई कोर्ट में उपस्थित होंगे.
पीआईएल में न केवल ऑडिट की मांग की गई, बल्कि एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति के गठन की भी मांग की गई है. यह समिति सभी पुलों की विस्तृत जांच और निरंतर निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सार्वजनिक उपयोग के लिए सुरक्षित हैं. याचिका में यह भी बताया गया है कि बिहार में बाढ़ के कारण पुलों के गिरने की घटनाएं अधिक गंभीर हैं, क्योंकि राज्य का कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 68,800 वर्ग किलोमीटर है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73.06 प्रतिशत है. याचिकाकर्ता ने कहा कि इसलिए, बिहार में पुलों के गिरने की घटनाएं अधिक विनाशकारी हैं. याचिकाकर्ता ने यह भी मांग किया कि पुलों की निगरानी भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा विकसित की गई नीति के आधार पर हो, जिससे की किसी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके.