सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें गुजरात सरकार द्वारा साबरमती आश्रम के अधिग्रहण को लेकर चिंता जताई गई थी. तुषार गांधी ने गांधी आश्रम के विकास से संबंधित है, जो गांधीवाद की आत्मा और भावना के खिलाफ बताया गया है. तुषार गांधी का कहना है कि यह कदम संविधान के अनुच्छेद 39 और 49 का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट से पहले तुषार गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट में पुनर्विकास कार्य को चुनौती दिया था. हालांकि, गुजरात हाई कोर्ट ने भी इस याचिका को खारिज कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें सरकार द्वारा 2021 में पारित प्रस्ताव को रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया था. गुजरात सरकार का यह प्रस्ताव गांधी आश्रम की स्मृति और उसके परिसरों के समग्र विकास से संबंधित था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इसे स्वीकार करने का कोई औचित्य नहीं है.
तुषार गांधी ने याचिका में कहा कि साबरमती आश्रम का सरकार द्वारा अधिग्रहण विकास के नाम पर गांधीवाद की आत्मा के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि आश्रम का निर्माण स्वयं महात्मा गांधी ने किया था, जो सरलता, आत्मनिर्भरता और सामुदायिक जीवन का प्रतीक है. आश्रम गांधीवादी सिद्धांतों के अनुसार स्थिरता और प्रकृति के साथ सामंजस्य का उदाहरण प्रस्तुत करता है. याचिका में यह भी कहा गया कि सरकार का यह कदम संविधान के अनुच्छेद 39 का उल्लंघन करता है, जो धन के संचय को रोकने पर जोर देता है. इसके अलावा, अनुच्छेद 49 ऐतिहासिक स्मारकों और राष्ट्रीय महत्व के स्थलों की सुरक्षा पर बल देता है. तुषार गांधी का कहना है कि यह कदम गांधी के सिद्धांतों के खिलाफ है और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग है. साबरमती आश्रम शांति, सरलता और शांति का प्रतीक है.
तुषार गांधी का कहना है कि प्रस्तावित पुनर्विकास आश्रम की आत्मा को मिटाने का खतरा पैदा कर रहा है. आश्रम का इतिहास 1917 से शुरू होता है, जब महात्मा गांधी ने इसे स्थापित किया था. यह एक ऐसा स्थान है, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधी के महत्वपूर्ण योगदान का गवाह है. याचिका में तुषार गांधी ने कहा कि वर्तमान में आश्रम की गरिमा और पवित्रता सीधे तौर पर एक कथित पुनर्विकास परियोजना के खतरे में है. उन्होंने कहा कि यह परियोजना गांधी की विरासत को मिटाने का प्रयास है. यह महत्वपूर्ण है कि हम गांधी के सिद्धांतों को समझें और उनकी रक्षा करें.