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CJI के सामने जूते निकालने की कोशिश, दिल्ली बार काउंसिल ने राकेश किशोर की कोर्ट प्रैक्टिस पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट में वकील राकेश किशोर ने अनुचित व्यवहार करते हुए जूते निकालने की कोशिश की. इसके बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उन्हें अस्थायी रूप से अदालत में प्रैक्टिस करने से रोक दिया है.

CJI BR Gavai, Supreme Court

Written by Satyam Kumar |Published : October 6, 2025 9:52 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक अजीब वाक्या घटा. सीजेआई बीआर गवई (CJI BR Gavai) की अदालत में मौजूद एक वकील ने हंगामा करना शुरू कर दिया. इस दौरान वकील राकेश किशोर ने सीजेआई की ओर देखते हुए अपने जूते निकालने की कोशिश की. तब वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी अपनी हरकत में आए, तो उसे पकड़कर बाहर ले गए. वकील ने जाते-जाते कहा कि सनातन का अपमान बर्दाशत नहीं. हालांकि, इस घटना के कुछ घंटे के बाद ही बार काऊंसिल के प्रेसिडेंट व राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने वकील के प्रैक्टिस पर अस्थाई रूप से रोक लगा दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि राकेश किशोर कौन हैं? उन्होंने ऐसा क्यों किया?

राकेश किशोर एडवोकेट हैं. वह दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड वकील है. साथ ही वह अपने क्लाइंट के लिए दिल्ली के तमाम अदालतों में पैरवी करते हैं. वे भगवान विष्णु को लेकर में सीजेआई के बयान से क्षुब्ध थे. जबकि इस सुनवाई के अगले दिन सीजेआई ने स्पष्ट किया था कि इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया दा रहा है. खैर वकील के पेशेवर आचरण से इतर कृत्य देख अदालत ने उनके कोर्ट प्रैक्टिस पर रोक लगा दी है.

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एडवोकेट राकेश किशोर के खिलाफ एडवोकेट्स एक्ट, 1961 और बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियमावली (चैप्टर II, भाग VI) के तहत कोर्ट में प्रैक्टिस करने पर अस्थायी रोक लगाया है. फैसले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि वकील को अदालत में सम्मान और आत्म-सम्मान के साथ पेश आना चाहिए, अदालतों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार रखना चाहिए और ऐसे किसी भी अवैध या अनुचित तरीकों से बचना चाहिए जो न्यायिक कार्यवाही को प्रभावित कर सकें. सस्पेंशन की अवधि के दौरान, वकील राकेश किशोर भारत के किसी भी न्यायालय, ट्रिब्यूनल या प्राधिकरण में वकालत नहीं कर सकेंगे. आपके खिलाफ कानून के अनुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जाएगी. बार काउंसिल ने कहा कि शो कॉज नोटिस जारी होने के बाद 15 दिन के अंदर उनके खिलाफ इस कृत्य के जबाव देना है. संभवत: कोर्ट प्रैक्टिस पर रोक के बाद अगर वकील जस्टिफाई नहीं कर पाते हैं तो संभव है कि उन्हें प्रैक्टिस करने या कोर्ट में शामिल होने पर रोक लगा दिया जाए.

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