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ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को थोड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक के आदेश को 15 अप्रैल तक बढ़ाया

सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर लगाई रोक को 15 अप्रैल तक बढ़ा दिया है. अदालत ने इस दौरान पूजा खेडकर को जांच में सहयोग करने को कहा है.

Supreme court, Pooja Khedkar

Written by Satyam Kumar |Published : March 18, 2025 11:43 AM IST

बर्खास्त ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर लगी रोक को सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल तक बढ़ा दिया है. राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर को जांच में सहयोग करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब भी पूछताछ के लिए बुलाया जाए वो पूछताछ में शामिल होगी. अब पूजा खेड़कर की अग्रिम ज़मानत अर्जी पर अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी. पूजा खेडकर पर UPSC की परीक्षा में धोखाधड़ी और फर्जी सर्टिफिकेट के  सहारे ओबीसी और दिव्यांग कोटे का फायदा उठाने का आरोप है.

कोर्ट रूम आर्गुमेंट

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ बर्खास्त ट्रेनी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनावई कर रही है. आज सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर की गिरफ्तारी से अंतरिम राहत बढ़ा दी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि जब खेड़कर ने खुद हलफनामे में कहा है कि वह जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं, तो पुलिस जांच पूरी क्यों नहीं कर पा रही है.

वहीं, मौजूद एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालस से मांग किया कि उन्हें UPSC उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए फर्जी दस्तावेजों की धोखाधड़ी की जांच के लिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है. एसवी राजू ने कहा कि उन्हें उन बिचौलियों के नाम जानने की आवश्यकता है जो इस धोखाधड़ी में शामिल हैं. हमने पाया है कि यह एक बड़ी धोखाधड़ी का मामला है जिसमें उन व्यक्तियों को शामिल किया जा सकता है जो प्रमाणपत्र दिलाने में शामिल हैं. हम यह जांचना चाहते हैं कि क्या यह उनका एक मामला है या इसमें कई मामले शामिल हैं." एसवी राजू ने यह भी बताया कि खेड़कर को OBC कोटा, विकलांगता आदि के आधार पर परीक्षा में नौ प्रयासों का हक है. हालांकि, उन्होंने डॉक्यूमेंट्स में फेरबदल करके अधिक प्रयास किए, जिसकी अनुमति नहीं है.

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इस पर, जस्टिस शर्मा ने टोकते हुए कहा  कि सामान्य पूछताछ और हिरासत में पूछताछ के बीच क्या अंतर होगा. अगर अधिक मामलों का पता चलता है, तो आप जांच कर सकते हैं. वह प्रमाणपत्र जारी करने वाली प्रमुख व्यक्ति नहीं हैं. जस्टिस नागरत्ना ने भी कहा कि खेड़कर को कथित रूप से मिले फर्जी प्रमाणपत्रों का सोर्स पता करना आवश्यक है, लेकिन इसके लिए उन्हें अनिवार्य रूप से हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है.

मौजूद पूजा खेड़कर के वकील ने धोखाधड़ी के आरोपों का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें 2018 में कम दृष्टि की विकलांगता (Low Vision Disability) का पता चला था और तब से उन्होंने UPSC में तीन बार प्रयास किए हैं. इसलिए, विकलांगता वाले उम्मीदवार के रूप में उनका प्रयास समाप्त नहीं हुआ है.

पूजा खेडकर के वकील ने दावा किया, "2012 से मैं UPSC परीक्षा का प्रयास कर रही थी और 2018 में, पहली बार, मुझे 40% विकलांगता के लिए योग्य पाया गया, जो मुझे नौ प्रयासों का हक देता है,"

हालांकि, न्यायालय ने मौखिक टिप्पणी की कि विकलांग व्यक्ति और सक्षम व्यक्ति के रूप में इक्जाम अटेम्पट की संख्या अलग नहीं हो सकती. जस्टिस नागरत्ना और शर्मा ने एक साथ कहा, "नहीं, नहीं, कुल प्रयासों की संख्या होनी चाहिए. ऐसा नहीं कि आप सक्षम और विकलांग के लिए अलग से प्रयास नहीं कर सकते."

अदालत ने कहा कि आप जांच में सहयोग करें और आपको अपने पक्ष को सही साबित करना होगा. उक्त टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 15 अप्रैल के लिए स्थगित कर दिया है.

पीछे की कहानी

ट्रेनी आईएएस अधिकारी खेडकर ने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया 821वीं रैंक हासिल किया था. पूजा खेडकर पर फेक डॉक्यूमेंट्स के सहारे यह अटेम्पट देने का आरोप है.

वहीं, इस मामले में, संघ लोक सेवा आयोग ने पहले कहा था,

"ट्रेनी आईएएस से उनका चयन रद्द करने और भविष्य की परीक्षाओं से वंचित करने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है. जांच से पता चला है कि उन्होंने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम, अपनी तस्वीर/हस्ताक्षर, अपनी ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी पहचान को गलत तरीके से पेश करके परीक्षा नियमों के तहत अनुमेय सीमा से परे धोखाधड़ी से प्रयास किए,"

यूपीएससी ने कहा कि उसने पुलिस अधिकारियों के पास प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करके आपराधिक मुकदमा चलाने सहित उनके खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की है. सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नियमों के अनुसार, खेड़कर की सिविल सेवा परीक्षा 2022 के लिए उम्मीदवारी रद्द करने और भविष्य की परीक्षाओं और चयनों से वंचित करने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.

इसके अतिरिक्त, आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में, यूपीएससी अपने संवैधानिक जनादेश का सख्ती से पालन करता है और बिना किसी समझौते के सभी परीक्षाओं सहित अपनी सभी प्रक्रियाओं का संचालन करता है.

16 जुलाई को, पूजा खेड़कर को महाराष्ट्र राज्य सरकार के जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम से मुक्त कर दिया गया था. उन्हें मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) में वापस बुला लिया गया और उनका प्रशिक्षण रोक दिया गया है.

अतिरिक्त मुख्य सचिव नितिन गद्रे के पत्र में लिखा है,

"एलबीएसएनएए (LBSNAA) मसूरी ने आपके जिला प्रशिक्षण कार्यक्रम को स्थगित रखने और आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आपको तुरंत वापस बुलाने का फैसला किया है."

सुप्रीम कोर्ट इसी मामले में पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई है.