सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करने के लिए सहमति व्यक्त की है, जिसमें कर्नाटक के विधायकों, पब्लिक सर्वेंट और जजों के कथित हनीट्रैप के मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है. आज यह मामला मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष लाया गया था. सीजेआई ने आज या कल में इस पर सुनवाई करने की सहमति जताई है. इस जनहित याचिका में झारखंड निवासी विनय कुमार सिंह द्वारा दायर की गई है. उन्होंने कथित हनीट्रैप मामले की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) या एक विशेष अन्वेषण दल (SIT) से स्वतंत्र जांच की मांग की गई है. याचिका में यह भी कहा गया है कि SIT में ऐसे पुलिस अधिकारी शामिल होने चाहिए जो कर्नाटक राज्य के अधिकारी या उनके अधीन न हों.
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह भी अनुरोध किया गया है कि वह जांच की निगरानी करे या एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन करे, जिसका नेतृत्व एक रिटायर सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा किया जाए. याचिका में कहा गया है, "मॉनिटरिंग कमेटी को उन सभी अधिकारियों/व्यक्तियों की भूमिका की जांच करनी चाहिए जो सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से इस घटना से लाभान्वित हुए हैं." पिछले सप्ताह, सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने दावा किया था कि राज्य में 48 लोग "हनी ट्रैप" के शिकार हो चुके हैं और उनके अश्लील वीडियो प्रसारित किए गए हैं. कांग्रेस विधायक ने दावा किया कि यह सूची विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की है, जिसमें राज्य और राष्ट्रीय स्तर के नेता शामिल है.
याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक राज्य विधानसभा में बहुत गंभीर और चिंताजनक आरोप लगाए गए हैं कि एक व्यक्ति, जो राज्य का मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखता है, ने कई व्यक्तियों को हनीट्रैप में फंसाने में सफलता हासिल की है, जिनमें जज भी शामिल हैं. इस आरोप को एक मंत्री द्वारा उठाया गया है, जिसने खुद को एक शिकार बताया है, जिससे आरोपों की गंभीरता को बल मिलता है. याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकार के एक अन्य मंत्री ने पहले मंत्री द्वारा उठाए गए आरोपों को न केवल दोहराया है, बल्कि यह भी कहा है कि इस स्कैंडल का पैमाना और अनुपात वर्तमान में जो दिख रहा है, उससे कम से कम दस गुना अधिक है. याचिका में यह भी कहा गया है कि जजों का हनीट्रैप के माध्यम से समझौता होना न्यायिक स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा है और यह संस्थान में जनता के विश्वास को गंभीर रूप से कमजोर करता है.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका स्वीकार करते हुए सुनवाई करने को लेकर सहमति जताई है.