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जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होगी सुनवाई, इस बेंच के सामने आ सकता है मामला

जस्टिस यशवंत वर्मा ने भारत के तत्कालीन और पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की आठ मई की सिफारिश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्होंने संसद से उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया था.

Justice Yashwant varma

Written by Satyam Kumar |Published : July 26, 2025 10:44 PM IST

सुप्रीम कोर्ट आने वाले सोमवार को जस्टिस यशवंत वर्मा की उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें उन्होंने आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य घोषित करने का अनुरोध किया है जिसमें उन्हें नकदी बरामदगी विवाद में कदाचार का दोषी पाया गया है. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ इस याचिका पर सुनवाई कर सकती है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर त्वरित सुनवाई के करने से इंकार कर दिया था. और साथ मामले के सूचीबद्ध होने का इंतजार करने के निर्देश दिया था. इस दौरान वर्तमान सीजेआई बीआर गवई ने इस मामले में शामिल होने से इंकार कर दिया था.

जस्टिस यशवंत वर्मा ने भारत के तत्कालीन और पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की आठ मई की सिफारिश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है, जिसमें उन्होंने संसद से उनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया था. अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा कि जांच ने साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी बचाव पक्ष पर डाल दी, जिसके तहत उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों की जांच करने और उन्हें गलत साबित करने का भार उन पर डाल दिया गया है.

जस्टिस वर्मा ने आरोप लगाया कि समिति के निष्कर्ष पूर्वकल्पित आख्यान पर आधारित हैं, तथा कहा कि जांच की समय-सीमा केवल कार्यवाही को शीघ्रता से समाप्त करने की इच्छा से प्रेरित थी, चाहे इसके लिए प्रक्रियात्मक निष्पक्षता की कीमत ही क्यों न चुकानी पड़ी हो. याचिका में तर्क दिया गया कि जांच समिति ने उन्हें पूर्ण और निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिए बिना ही प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला.

घटना की जांच कर रही जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था, जहां आग लगने की घटना के बाद बड़ी मात्रा में आधी जली हुई नकदी मिली थी, जिससे उनका कदाचार साबित होता है, जो इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए.

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