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कब हुई Supreme Court की पहली सिटिंग? क्या थी इस कार्यवाही की खास बातें

भारत का सर्वोच्च न्यायालय अस्तित्व में काब आया था, जब उच्चतम न्यायालय की पहली सिटिंग हुई थी तो ये कब हुई थी, कहां हुई थी और इस कार्यवाही की सबसे खास बातें क्या हैं, आइए जानते हैं...

Supreme Court of India First Sitting Unknown Facts

Written by Ananya Srivastava |Published : July 12, 2023 6:19 PM IST

नई दिल्ली: सरकार के तीन स्तंभों में से एक है न्यायपालिका और इसके तहत उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) देश में न्याय पाने हेतु सबसे बड़ा संस्थान है। निचली अदालत में दर्ज मामले के फैसले से परेशान होकर नागरिक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है और अगर वहां भी संतुष्टि न मिले तो वो सर्वोच्च न्यायालय की शरण में आता है।

उच्चतम न्यायालय का फैसला सर्वोपरि है और हर उच्च न्यायालय को यह फैसला मानना होता है। यह 'न्याय का मंदिर' अस्तित्व में कब आया है और इसकी पहली सिटिंग कब और किस तरह हुई है, आइए विस्तार से जानते हैं.

उच्चतम न्यायालय की पहली सिटिंग

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस दिन देश के संविधान को लागू किया गया था, उसी दिन यानी 26 जनवरी, 1950 को उच्चतम न्यायालय भी अस्तित्व में आ गया था। देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित सुप्रीम कोर्ट का उद्घाटन गणतंत्र दिवस के दो दिन बाद, 28 जनवरी, 1950 को हुआ था।

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यह उद्घाटन संसद बिल्डिंग के 'चेंबर ऑफ प्रिंसेज' (Chamber of Princes) में हुआ था जिसमें 1937 और 1950 के बीच, 'फेडरल कोर्ट ऑफ इंडिया' (Federal Court of India) बैठा था।

उद्घाटन कार्यवाही की खास बातें

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की पहली सिटिंग सुबह 9:45 पर शुरू हो गई थीं। इस कार्यवाही में देश के पहले मुख्य न्यायाधीश हरीलाल जे कानिया (Chief Justice Harilal J Kania), न्यायाधीश सईद फज्ल अली, एम पतंजलि सास्त्री, मेहर चंद महाजन, बिजन कुमार मुखर्जी और एस आर दास ने सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में अपना स्थान ग्रहण किया था।

इस खास अवसर पर इलाहाबाद, बंबई, मद्रास, उड़ीसा, असम, नागपुर, पंजाब, सौराष्ट्र, पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ, मैसूर, हैदराबाद, मध्य भरत और त्रावणकोर-कोचीन के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, देश के पहले अटॉर्नी जनरल एम सी सीतलवाड़ (M C Setalvad) और बंबई, मद्रास, उत्तर प्रदेश, बिहार, पूरी पंजाब, उड़ीसा, मैसूर, हैदराबाद और मध्य भारत के एडवोकेट जनरल भी शामिल थे।

इन सब लोगों के साथ देश के प्रधानमंत्री, अन्य नेता, विदेशी राज्यों के राजदूत और राजनयिक प्रतिनिधि, कई सारे वरिष्ठ और अन्य अधिवक्ता और विशिष्ट मेहमान भी इस मौके पर मौजूद थे।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उच्चतम न्यायालय की पहली सिटिंग में सर्वोच्च न्यायालय के नियमों (Rules of the Supreme Court) के प्रकाशन और सुप्रीम कोर्ट की लिस्ट में फेडरल कोर्ट के सभी अधिवक्ताओं और एजेंट्स के नाम शामिल करने की प्रक्रिया पर ध्यान देने के बाद इस पहली कार्यवाही को समाप्त किया गया था।

किस तरह काम करता था Supreme Court?

इस दिन के बाद से, उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही संसद के एक हिस्से में हुआ करती थीं. बता दें कि 1958 वो साल है जब सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही कोर्ट की मेन बिल्डिंग में होनी शुरू हुई।

1950 के मूल संविधान में सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश और कुल मिलाकर सात उत्तरवर्ती न्यायाधीश होने का प्राविधान था. संसद इस संख्या को बढ़ा सकता था।

शुरुआती सालों में उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीश एक साथ बैठकर मुकदमों की सुनवाई करते थे।

कोर्ट उन दिनों में दिन में सिर्फ चार घंटे बैठता था, सुबह दस बजे से 12 बजे तक और दिन में 2 बजे से शाम चार बजे तक काम होता था।

कुल मिलाकर, उच्चतम न्यायालय साल में सिर्फ 28 दिन बैठता था। धीरे-धीरे, काम बढ़ा और उसके साथ काम करने के दिन और न्यायाधीशों की संख्या भी बढ़ा दी गई।