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मनी लॉन्ड्रिंग क्या है? PMLA के संशोधित नियमों में किन वजहों से जज और सैन्य अधिकारी भी शामिल

मनी लॉन्ड्रिंग एक आपराधिक प्रक्रिया है जिसमें आपराधिक या अवैध गतिविधियों जैसे मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध हथियारों की आपूर्ति, आदि से कमाये धन को वैध स्रोतों से प्राप्त धन के रूप में पेश किया जाता है. इस प्रक्रिया से लोग अपने अवैध आय को वैध दिखाने का प्रयास करते हैं.

Written by My Lord Team |Published : March 23, 2023 10:33 AM IST

नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग वर्तमान में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है. बढ़ते वैश्वीकरण और औद्योगीकरण के साथ-साथ, संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप में अर्जित धन को वैध रूप में परिवर्तित कर आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है. अपने देश में भी आजकल मनी-लॉन्ड्रिंग के कई मामले सामने आये हैं जिनमें अनिल परब, चंदा कोचर, मनीष सिसोदिया जैसे कई अन्य नाम खबरों की चर्चा में बने हुए हैं.

इसके अलावा सरकार पर भी प्रवर्तन निदेशालय (ED)--एक केंद्रीय संस्था जिसे इस तरह से आपराधिक मामलों का अन्वेषण करने और संपत्ति को अस्थायी रूप से संलग्न करने और अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की जिम्मेदारी दी गई है, के दुरुपयोग का अक्सर आरोप लगाया जाता है.

लेकिन आपके बता दे की मनी लॉन्ड्रिंग एक आपराधिक प्रक्रिया है जिसमें आपराधिक या अवैध गतिविधियों जैसे मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध हथियारों की आपूर्ति, आदि से कमाये धन को वैध स्रोतों से प्राप्त धन के रूप में पेश किया जाता है. इस प्रक्रिया से लोग अपने अवैध आय को वैध दिखाने का प्रयास करते हैं और लोगों को इन अवैध गतिविधियों के लाभ का आनंद लेने में मदद मिलती है. इस धन शोधन की प्रक्रिया के रोकथाम के लिए सरकार द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) को लागू किया गया.

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संशोधित PMLA क्या है?

Prevention of Money-Laundering Act (PMLA) यानी धनशोधन निवारक कानून, संसद द्वारा पारित एक आपराधिक कानून है जो 1 जुलाई 2005 से प्रभावी हुआ. धनशोधन निवारक कानून, मनी-लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) को रोकने और मनी-लॉन्ड्रिंग से प्राप्त या उस धन से प्राप्त संपत्ति को जब्त करने के लिए और उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए एक अधिनियम है. इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना, और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल लोगों को दंडित करना है.

हाल ही में, सरकार ने धनशोधन निवारक कानून में संशोधन किया है जिसके तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए Politically Exposed Person (PEP) के वित्तीय लेन-देन का ब्योरा रखना अनिवार्य कर दिया गया है. वित्त मंत्रालय के अनुसार PMLA के संशोधित नियमों के तहत, जिस व्यक्ति को किसी अन्य देश द्वारा प्रमुख सार्वजनिक कार्य सौंपे गए हैं, जिनमें राज्यों या सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनेता, वरिष्ठ नौकरशाह या न्यायिक अधिकारी या सैन्य अधिकारी, राज्य के स्वामित्व वाले निगमों के वरिष्ठ अधिकारी और महत्वपूर्ण राजनीतिक दल के पदाधिकारी शामिल हैं, वो PEPs कहे जाएंगे.

PEP वह व्यक्ति है जो एक प्रमुख सार्वजनिक पद पर कार्य करता है. उनकी भूमिका के कारण, वे रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार या अन्य मनी लॉन्ड्रिंग अपराधों के लिए अतिसंवेदनशील हो सकते हैं, इसके परिणामस्वरूप वे वित्तीय संस्थानों और नामित गैर-वित्तीय व्यवसायों और व्यवसायों (DNFBPs) के लिए उच्च जोखिम वाले होते हैं.

PMLA का उद्देश्य

मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम 2002, धनशोधन से जुड़े हर मुद्दे से निपटने के लिए लागू किया गया है परन्तु इसके उद्देश्यों को बढ़ाया भी जा सकता है. इस अधिनियम के कुछ मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं-

- मनी लॉन्ड्रिंग की रोकथाम और नियंत्रण

- मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति की जब्ती

- मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल अपराधियों को सजा दिलाना

- मनी लॉन्ड्रिंग मामलों से संबंधित न्यायनिर्णयन प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण की नियुक्ति

- रिकॉर्ड बनाए रखना और वित्तीय संस्थानों, बैंकिंग कंपनियों और संस्थानों पर दायित्व डालना

PMLA के तहत अपराध

इस अधिनियम की धारा 3 के अनुसार जो भी व्यक्ति आय से जुड़े अपराध, जिसमें आय का छिपाव, कब्जा, अधिग्रहण या उपयोग और प्रोजेक्ट या इसे बेदाग संपत्ति के रूप में दावा करना शामिल है, के किसी भी प्रक्रिया या गतिविधि में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप या जानबूझकर सहायता करता है या एक पार्टी है, तो वह मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में दोषी होगा.

PMLA के तहत सजा के प्रावधान

PMLA की धारा 4: इसके अंतर्गत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को 3 साल के कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है. हालांकि, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 के तहत अपराधों से संबंधित मामलों में, व्यक्ति को कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जो 7 साल के बजाय 10 साल तक बढ़ सकता है.

PMLA की धारा 5: इसके मुताबिक निदेशक, संयुक्त निदेशक या उप निदेशक को 180 दिनों के लिए धन शोधन की संपत्ति को कुर्क करने का अधिकार है, बशर्ते उनके पास यह विश्वास करने का कारण हो कि व्यक्ति आपराधिक कार्यवाही के अधीन है.

PMLA की धारा 9: इसके तहत धन शोधन संबंधित संपत्ति की जब्ती के बाद, संपत्ति के सभी अधिकार और शीर्षक सरकार के होंगे.

मनी लॉन्ड्रिंग न केवल देश की प्रतिष्ठा क्षतिग्रस्त करता है बल्कि इससे विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है जैसे- अपराध, भ्रष्टाचार और कमजोर अर्थव्यवस्था. आपको बता दें कि हमारा देश वर्तमान में Financial Action Task Force (FATF) की उन देशों की सूची में नहीं है, जिनके पास मनी-लॉन्ड्रिंग विरोधी रणनीतिक कमियां हैं.

FATF वैश्विक स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण (Financing) से निपटने के लिए समर्पित है. यह निकाय मनी-लॉन्ड्रिंग जैसे अवैध गतिविधियों के लिए अंतरराष्ट्रीय नीति और मानकों को निर्धारित करता है.