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ग्रेच्युटी क्या है? इसकी गणना किस तरह से होती है और इसको तय करने की क्या शर्तें हैं?

यहां ध्यान देने वाली बात है की हर कंपनी को ग्रेच्‍युटी देना अनिवार्य नहीं होता है. पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के तहत ग्रेच्‍युटी का लाभ उन्ही कंपनियों में मिलता है, जहां कर्मचारियों की संख्या कम से कम 10 होती है.

Written by My Lord Team |Published : June 9, 2023 3:28 PM IST

नयी दिल्ली: अक्सर सुनने में आता है कि एक कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद या छोड़ने पर ग्रेच्‍युटी (Gratuity) की अच्छी खासी राशि दी गई है. ऐसा सुनकर आपके मन में भी सवाल आता होगा कि ये ग्रेच्‍युटी क्या होती है, और ये क्या सभी काम करने वाले लोगो को मिलती है. ऐसे ही कुछ सवालों के बारे आज हम आपको बताएंगें.

क्या होती है ग्रेच्‍युटी ( Gratuity )

जब भी आप किसी कम्पनी में कुछ निश्चित समय तक काम करते हैं और जब आप कम्पनी छोड़ते हैं तो आपको भी कंपनी से मिलने वाले ग्रेच्‍युटी अमाउंट की उम्मीद रहती होगी. दरअसल ग्रेच्‍युटी कर्मचारी को कम्पनी की और से मिलने वाला रिवॉर्ड होता है. अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है, तो एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत कर्मचारी को ग्रेच्‍युटी का भुगतान गारंटीड तौर पर किया जाएगा.

c ग्रेच्‍युटी (Gratuity)

ग्रेचुइटी पाने के लिए आपको कम से कम 5 साल किसी कंपनी में काम करना जरूरी होता है. यहां ये बाद ध्यान देनी जरूरी है कि ग्रेचुइटी के लिए कुछ अमाउंट आपकी सैलरी से कटता रहता है. हालांकि इसके बावजूद भी इसमें आपको मिलने वाली ग्रेचुइटी का बड़ा भाग कंपनी के द्वारा ही जमा किया जाता है. जब भी 5 साल बाद आप नौकरी छोड़ते हैं तो आप ग्रेचुइटी के हकदार बाद जाते हैं.

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यहां ये बात ध्यान देने वाली है की हर कंपनी को ग्रेच्‍युटी देना अनिवार्य नहीं होता है. पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के तहत ग्रेच्‍युटी का लाभ उन्ही कंपनियों में मिलता है, जहां कर्मचारियों की संख्या कम से कम 10 होती है. हालांकि अगर कोई कंपनी जो पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्‍युटी एक्ट के दायरे में नहीं आती, वो चाहे तो वो भी कर्मचारियों को ग्रेच्‍युटी दे सकती है.

ग्रेच्‍युटी तय करने का एक निश्चित फार्मूला होता है. ग्रेच्‍युटी कैलकुलेशन के फॉर्मूले में हर महीने में 26 दिन ही काउंट किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है. वहीं एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन होता है.

केरल हाई कोर्ट का आदेश

केरल हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति मुरली पुरुषोत्तमन ने केरल राज्य आवास बोर्ड के साथ काम करने वाले एक सेवानिवृत्त क्षेत्रीय अभियंता द्वारा दायर एक मामले पर सुनवाई करते हुए फैसले में कहा,"ग्रेच्युटी कर्मचारी को उसके रोजगार की समाप्ति पर देय है। किसी कर्मचारी को देय ग्रेच्युटी उस अधिकतम से अधिक नहीं होगी जो उस तिथि को संबंधित अधिनियमों के तहत अधिसूचित की जाती है जिस पर ग्रेच्युटी देय हो जाती है। यहां तक कि अगर यह मान भी लिया जाए कि ग्रेच्युटी के लिए याचिकाकर्ता का दावा ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत था, तो उक्त अधिनियम के तहत देय ग्रेच्युटी की अधिकतम राशि उस तिथि के संबंध में निर्धारित की जानी चाहिए जिस पर ग्रेच्युटी देय हो गई थी, न कि जिस तारीख को डीसीआरजी के भुगतान के लिए मंजूरी दी गई थी या वह तारीख जिस पर वास्तव में उसे राशि वितरित की गई थी।"