नई दिल्ली: देश के हर नागरिक को यह अधिकार है कि वो सहज तरीके से न्याय पा सकते हैं। आज के समय में, न्याय पाना कोई सस्ती बात नहीं है, इसी वजह से भारतीय संविधान में एक अधिनियम है जिसके तहत, जरूरतमंदों को निःशुल्क न्याय मिल सकने की बायत कही गई है।
'विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987' (The Legal Services Authority Act, 1987) के तहत जरूरतमंदों को देश भर में, तीन स्तर पर निःशुल्क विधिक सहायता (Free Legal Aid) के जरिए न्याय दिलाने का प्रयास किया जाता है। यह अधिनियम जिला (District), राज्य (State) और राष्ट्रीय स्तर पर काम करता है।
इस अधिनियम के तहत 'राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण' (National Legal Services Authority- NALSA) के जरिए हर किसी को निःशुल्क न्याय प्राप्त कराया जाता है। इस प्राधिकरण के तहत सिविल और क्रिमिनल, दोनों मामलों में पात्र व्यक्ति को निःशुल्क वकील उपलब्ध कराया जाता है जिसकी फीस का भुगतान सरकार करती है।
निःशुल्क विधिक सहायता की योग्यता दो श्रेणियों के तहत तय की जाती है। जहां पहली श्रेणी में महिलाएं, अनुसूचित जनजाति-अनुसूचित जाति और बच्चे शामिल हैं वहीं दूसरी श्रेणी में वो लोग हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और जो गरीबी रेखा के नीचे (Below Poverty Line) जीवन यापन कर रहे हैं।
इन दोनों वर्गों में से किसी में आने वाला शख्स इस निःशुल्क विधिक सहायता का फायदा उठा सकते हैं और इस शख्स को मुफ़्त में एक वकील दिया जाएगा जो केस उसी तरह लड़ेगा जिस तरह एक फीस देकर चुना गया वकील लड़ता है।
इस निःशुल्क विधिक सेवा के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया भी समझ लें। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिस अदालत परिसर में आप हैं, वहां आपको फ्री लीगल एड का ऑफिस मिल जाएगा जहां जाकर आप आवेदन कर सकते हैं। दफ्तर में जाकर आपको बताना होगा कि आपका मामला क्या है, आपकी आर्थिक स्थिति कैसी है और आप इस माध्यम के जरिए न्याय क्यों पाना चाहते हैं।
आपके आवेदन पर प्राधिकरण जांच करता है और फिर अगर आप दोनों में से किसी एक श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, तो आपके लिए वकील नियुक्त किया जाता है। बता दें कि निर्धन वर्ग के लोगों को कोर्ट की फीस भी माफ होती है और इस बारे में 'सिवल प्रक्रिया संहिता, 1908' (Codeof Civil Procedure, 1908) के आदेश 33 में लिखा हुआ है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कोर्ट फीस से मुक्ति पाने के लिए आपके पास सिर्फ वही एक विवादित संपत्ति होनी चाहिए, जिसके लिए आप मुकदमा लड़ रहे हैं। मुकदमा जीतने के बाद सबसे पहले वो कोर्ट फीस अदा करनी होती है।