नई दिल्ली: हमारा देश एक लोकतांत्रिक राज्य हैं यहां जनता को अपना प्रतिनिधि चुनने का, किसी भी नागरिक को चुनाव (Elections) में खड़े होने का पूरा अधिकार है. साथ ही अगर कोई अपनी सत्ता का दुरुपयोग करता है, तो जनता को उसे सत्ता से उतारने का भी पूरा हक है. नेता चुनने की प्रक्रिया चुनाव द्वारा होती है. कई बार ऐसी खबरे आती हैं कि अभ्यर्थी किसी अपराध में संलिप्त पाया गया और उसपर कार्रवाई हुई. भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) के चैप्टर नौ में चुनाव और निर्वाचन से जुड़े अपराध के बारे में बताया गया है. इसके तहत अभ्यर्थी से लेकर उसके अधिकार और उससे जुड़े अपराध को परिभाषित किया गया है.
इसके अनुसार "अभ्यर्थी" (Candidate) का तात्पर्य उस व्यक्ति से है जो किसी निर्वाचन (Election) में "अभ्यर्थी" के रूप में चुने गए हैं या खड़े हुए है.
ख. "निर्वाचन अधिकार" (Electoral right) को इस धारा में इस तरह से परिभाषित किया गया है कि जो व्यक्ति किसी चुनाव में खड़े होने के लिए अपना नाम देता है, उसके पास यह अधिकार है कि वो किसी भी चुनाव में अभ्यर्थी के रूप में खड़ा हो सकता है या अभ्यर्थना से अपना नाम वापस भी ले सकता है या फिर किसी को मत दे सकता है या मत नहीं भी दे सकता है.
1. धारा 171B के अंतर्गत, एक व्यक्ति के द्वारा किया गया रिश्वतखोरी तब अपराध माना जाता है, जब वह किसी व्यक्ति को इस उद्देश्य के साथ ग्रैटीफिकेशन करता है, ताकि वह उस व्यक्ति को अपने चुनावी अधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रेरित कर सके या किसी व्यक्ति को इसलिए इनाम दें क्योंकि उसने अपने चुनावी अधिकार का प्रयोग, उससे प्रेरित होकर किया हो, जो व्यक्ति, इस तरह से प्रेरित हो कर चुनावी अधिकार का प्रयोग, अलग तरह से करता हो.
2. इस धारा के लिए, जो व्यक्ति ग्रैटीफिकेशन देने की ऑफर करता है या देने के लिए सहमत होता है या ऑफर करने की प्रस्थापना या कोशिश करता है, तो यह माना जाता है कि वह ग्रैटीफिकेशन दे रहा है. जो व्यक्ति अपने पूर्व निर्धारित विकल्प को बदलने के लिए ग्रैटीफिकेशन को स्वीकार करता है या प्राप्त करने की कोशिश करता है और इस तरह के ग्रैटीफिकेशन देने वाले व्यक्ति की इच्छा के अनुसार काम करता है, तो माना जाता है कि उस व्यक्ति ने ग्रैटीफिकेशन, को स्वीकार किया है.
3. रिश्वतखोरी का अपराध करने वाले व्यक्ति को धारा 171E के प्रयोजन के तहत कारावास (इंप्रिजनमेंट), जिसकी अवधि एक साल तक हो सकती है, या जुर्माना, या दोनों सजा दी जा सकती है, लेकिन सत्कार (ट्रीट) के रूप में रिश्वत केवल जुर्माने से ही दंडित किया जाएगा.
यहां सत्कार का अर्थ है भोजन, पेय, मनोरंजन या प्रावधान को ग्रैटीफिकेशन के रूप में प्रदान करना या स्वीकार करना.
किसी उम्मीदवार या मतदाता या किसी ऐसे व्यक्ति को धमकाना (किसी भी प्रकार के अत्याचार के साथ) जिसमें कोई उम्मीदवार/मतदाता रुचि रखता हो या;
3. धारा 171F के अनुसार, इलेक्शन में असम्यक का असर डालने पर एक साल तक की कैद, या जुर्माना, या दोनों से दंडनीय किया जा सकता है.
इसके तहत, दो बार मतदान देने या अनुचित तरीके से मतदान देने की कोशिश करने वाला व्यक्ति पर प्रतिरूपण के अपराध का दोषी माना जाएगा. हर व्यक्ति को अपना मत खुद देना चाहिए. उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति, वोटिंग पेपर का प्रयोग किसी और के नाम से कर रहा हो, चाहे वो व्यक्ति जीवित हो या मृत, किसी काल्पनिक नाम से, या इस चुनाव में वो पहले ही अपना मत दे चुका है, लेकिन फिर से मतदान करना चाहता है, तो वह व्यक्ति प्रतिरुपण के अपराध से दोषी पाया जाएगा. यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को खुद इस्तेमाल करने के लिए वोटिंग पेपर प्राप्त करने के लिए उकसाता है, तो वह भी प्रतिरूपण के अपराध का दोषी माना जाएगा.
साथ ही इस धारा में एक और नियम स्पष्ट किया गया है कि उस समय लागू, किसी भी कानून के तहत, अगर कोई व्यक्ति ऑथराईज है किसी और व्यक्ति के लिए मतदान में प्रोक्सी देने के लिए, तो वह इस अपराध का दोषी नहीं माना जाएगा.
धारा 171F के अनुसार, चुनाव में प्रतिरुपण का अपराध करने के लिए व्यक्ति को कारावास से दंडित किया जा सकता है, जिसकी अवधि एक साल तक हो सकती है, या जुर्माना लगाया जा सकता है.
इसके तहत, जो कोई भी व्यक्ति किसी उम्मीदवार के चरित्र या आचरण को खराब करने की कोशिश में सार्वजनिक रूप से एक कथन बनाता/ पब्लिश करता है, यह जानते हुए कि वह False Statement है, और उसे सच्चे तथ्यों के रूप में प्रच्छन्न (डिस्गाइज़) करता है, तो ऐसे अपराध जो, इलेक्शन के परिणाम को बाधित (डिस्रप्ट) करने के लिए किया जाता है. तो वह दोषी माना जाएगा और उस पर जुर्माना लगाया जाएगा.
इसके तहत, जो कोई भी व्यक्ति, उम्मीदवार के द्वारा लिखित में दिए गए किसी सामान्य या विशेष अधिकार के बिना, इलेक्शन कैंपेन, जिसमें, सार्वजनिक सभा करने, प्रेस कॉन्फ्रेंस, विज्ञापन, सर्कुलर या पब्लिकेशन शामिल हो सकते हैं, को बढ़ावा देने के लिए व्यय (एक्सेस) करने के लिए जिम्मेदार होता है, वह व्यक्ति सजा का पात्र होगा, उस पर 500 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
हालांकि, यदि कोई व्यक्ति, जिसने प्राधिकार के बिना कोई ऐसे व्यय किए हो, जिसका मूल्य कुल मिलाकर 10 रुपये से अधिक ना हो, और वह उस तारीख (जिस तारीख को ऐसे व्यय किए गए हो) के भीतर इस उम्मीदवार का लिखित में आज्ञा प्राप्त कर लेता है, तो यह समझा जाएगा कि उसने उम्मीदवार के आज्ञा से ऐसे व्यय किए हैं.
इस धारा के अनुसार, कोई व्यक्ति, जो इलेक्शन के सिलसिले में होने वाले खर्च का लेखा- जोखा रखने के लिए जिम्मेदार है, उस समय लागू कानून के अनुसार या विधि का बल रखने वाले किसी नियम के द्वारा, ऐसा करने में असफल होने पर, जुर्माने से दंडित किया जाएगा जो 500 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है.