नई दिल्ली: भारत सरकार स्वच्छ भारत अभियान जैसी योजनाओं के जरिए देश में स्वच्छता अभियान के साथ आगे बढ़ रही है ताकि लोग स्वस्थ्य रहें. इसी के संबंध में भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) के अध्याय 14 में कुछ अपराध परिभाषित किए गए हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुविधा, शालीनता और सुरक्षा को प्रभावित करने वाले कृत्यों से निपटते हैं. यह न केवल स्वच्छता को बनाए रखने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में मदद करते हैं बल्कि लोगों के लापरवाह रवैये में बदलाव लाने का प्रयास भी करते हैं.
इसके अलावा, दुनिया भर में अभूतपूर्व महामारी की चुनौती को देखते हुए IPC की धारा 269 और 270 को उन लोगों के खिलाफ भी लागू किया जा सकता है जो सार्वजनिक क्षेत्रों में मास्क नहीं पहनते हैं और रात के कर्फ्यू या लॉकडाउन के सरकारी आदेश के बावजूद सार्वजनिक स्थानों पर इकट्ठा होते हैं.
धारा 269 के अनुसार, जो कोई व्यक्ति किसी भी तरह के गैरकानूनी कार्य या लापरवाही से कोई ऐसा कार्य करता है, यह जानते हुए या ऐसा विश्वास रखते हुए कि इस कार्य के कारण, जीवन के लिए खतरनाक किसी भी बीमारी के संक्रमण को फैलाने की संभावना है, तो ऐसे व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर 6 माह के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.
वहीं धारा 270 के मुताबिक, जो कोई व्यक्ति द्वेषपूर्वक कोई ऐसा कार्य करता है, यह जानते हुए या ऐसा विश्वास रखते हुए कि इस कार्य के कारण, जीवन के लिए खतरनाक किसी भी बीमारी के संक्रमण को फैलाने की संभावना है, तो ऐसे व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर 2 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 270, धारा 269 का उग्र रूप है. धारा 270 में 'दुर्भावनापूर्ण' शब्द का प्रयोग दर्शाता है कि अभियुक्त ने जानबूझकर बीमारी फैलाने के इरादे से कार्य किया है. अभियुक्तों के दिमाग में आपराधिक इरादे के अस्तित्व के कारण, धारा 270 के तहत दी गई सजा भी धारा 269 में उल्लिखित सजा से कहीं अधिक और कड़ी है.
संजय गोयल बनाम डोंगसन ऑटोमोटिव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मद्रास उच्च न्यायालय ने 2016 में फैसला दिया था कि एक कारखाने से दूषित पदार्थ और धूल के कण पड़ोसी भूमि में फेंके जा रहे हैं, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है, तो इस स्थिति में भी दोषी को धारा 269 के तहत दंडित किया जा सकता है.
IPC की धारा 269 और 270 के अंतर्गत दिया गए अपराध, जमानती और संज्ञेय [अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है] अपराध है। इन अपराधों में समझौता नहीं किया जा सकता है।
कोरोनावायरस महामारी जैसी स्थितियों से जूझने के बाद हमारे रोजमर्रा के जीवन पर कई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े है. इन अपराधों के सक्रिय उपयोग ने लोगों को सरकारी आदेशों की अवहेलना करने और लॉकडाउन के उपायों का उल्लंघन करने से पहले दो बार सोचने पर मजबूर कर दिया है.