नई दिल्ली: राज्यसभा (Rajya Sabha) की कार्यवाही के दौरान, विपक्ष के हंगामे के बीच आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के सांसद, संजय सिंह (Sanjay Singh) को सभापति द्वारा 'अनियंत्रित और असभ्य व्यवहार' के लिए, शेष मॉनसून सत्र के लिए सोमवार को निलंबित कर दिया गया।
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान 'आप' सांसद नारेबाजी करते हुए सभापति के आसन के समीप जा पहुंचे थे. वह मणिपुर हिंसा पर चर्चा और सदन में इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहे थे। सभापति द्वारा चेतावनी देने के बावजूद संजय सिंह अपने स्थान पर नहीं गए और नारेबाजी करते रहे, इसलिए उन्हें सस्पेंड किया गया।
बता दें कि निलंबन के बाद संजय सिंह ने संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के बाहर बैठकर पूरी रात धरना दिया।
आइए समझते हैं कि वो कौन सी परिस्थितियां हैं जिनमें लोक सभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) के सदस्य को सत्र से निलंबित किया जा सकता है। संसद में इसको लेकर क्या नियम हैं और यह प्रक्रिया किस तरह से पूरी की जाती है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोक सभा और राज्यसभा, दोनों में सुचारु रूप से काम चलता रहे, इसके लिए कुछ नियम जारी किए गए हैं। इन नियमों में सदस्य के निलंबन (Suspension) को लेकर भी प्रावधान हैं।
लोक सभा सदस्यों के लिए यह प्रावधान 'लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम' (Rules of Procedure and Conduct of Business in Lok Sabha) के तहत दिए गए हैं। राज्यसभा की बात करें तो उनकी नियमावली 'राज्यों की परिषद में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम' (Rules of Procedure and Conduct of Business In the Council of States) है।
'लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम' की नियम संख्या 373 'सदस्य की वापसी' (Withdrawal of Member) को लेकर है। सभा के अध्यक्ष (Speaker) को अगर ऐसा लगता है कि कोई सदस्य सभी तरह से बर्ताव नहीं कर रहा है या सभा के कामों में बाधा बन रहा है तो उस सदस्य को तुरंत सदन से बाहर कर सकते हैं। अध्यक्ष सदस्य को उस पूरे दिन की गतिविधियों में शामिल न होने का आदेश दे सकते हैं।
नियम संख्या 374 के तहत 'सदस्य के निलंबन' (Suspension of Member) की प्रक्रिया बताई गई है। इस नियम के अनुसार अगर अध्यक्ष (Speaker) को उचित लगता है, तो वो किसी सदस्य का नाम बताते हैं जिन्होंने अध्यक्ष के प्राधिकार की अवहेलना करते हों या जो जानबूझकर काम में बाधा डालकर सभा के नियमों का उल्लंघन करते हों।
जब ऐसे सदस्य के निलंबन का प्रस्ताव दिया जाता है तो अध्यक्ष निलंबन की अवधि के बारे में भी बताते हैं जो ज्यादा से ज्यादा सत्र की समाप्ति तक की हो सकती है। अध्यक्ष द्वारा सदस्य के नाम के ऐलान पर सदन चाहे तो किसी भी समय इस प्रस्ताव को रद्द करने का आग्रह कर सकता है। यदि इस नियम के तहत कोई सदस्य निलंबित किया जाता है, वो सदन की कार्यवाही में किसी भी तरह से शामिल नहीं हो सकता है।
लोकसभा के कार्य संचालन हेतु बने नियमों में 'सदस्य के स्वतः निलंबन' (Automatic Suspension of a Member) को लेकर भी एक नियम है जिसकी संख्या 374A है। इसके तहत अगर कोई ऐसी गंभीर घटना होती है जिसमें कोई सदस्य सभा के नियमों का शोषण या उल्लंघन करता है या जानबूझकर चिल्लाकर और नारेबाजी करके सदन के काम में बाधा डालता है तो उसे अध्यक्ष नामित कर सकते हैं।
नामित होने पर इस सदस्य को तुरंत सभा से अगले पाँच सत्रों के लिए या फिर शेष सत्र के लिए (जो भी कम हो) निलंबित कर दिया जाता है। इस प्रस्ताव को भी सदन रद्द करने का आग्रह कर सकता है।
'राज्यों की परिषद में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम' के नियम 255 में 'सदस्य की वापसी' (Withdrawal of Member) का उल्लेख किया गया है। इस नियम के तहत सभापति प्रत्यक्ष रूप से किसी वगी सदस्य को सदन से निकलने का आदेश दे सकते हैं, जो उनके हिसाब से सभी तरह से व्यवहार नहीं कर रहा है। जिस भी सदस्य को सभापति सदन से निकलने का आदेश देंगे, वो उस दिन की शेष कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे, सदन से तुरंत निकल जाएंगे।
नियम संख्या 256 में 'सदस्य के निलंबन' (Suspension of Member) की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है। सभापति को अगर ऐसा लगता है कि कोई राज्यसभा सदस्य अध्यक्ष के पद का अपमान करता है या जानबूझकर काम में बाधा डालकर सदन के नियमों का उल्लंघन करता है तो सभापति उसे तुरंत नामित कर देते हैं।
सभापति के नामित होने के बाद एक मोशन पास होता है जिसके बाद, बिना किसी संशोधन (Amendment), स्थगन (Adjournment) या बहस (Debate) की अनुमति के, उस सदस्य को सदन से निलंबित कर दिया जाता है; निलंबन की अवधि शेष सत्र की अवधि से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। बता दें कि अगर मोशन पास होता है तो काउंसिल कभी भी उस निलंबन को ध्वस्त करने का आग्रह कर सकता है।