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Public Servant के द्वारा संपत्ति जब्ति का विरोध करना है अपराध, इस धारा के तहत मिलती है सजा

एक पब्लिक सर्वेंट के आदेश की अवहेलना करना या उनके काम में बाधा डालना एक अपराध है. दोषी पाए जाने पर कानूनी रूप से वह व्यक्ति दंडित किया जाता है.

Written by My Lord Team |Published : March 2, 2023 12:44 PM IST

नई दिल्ली: एक लोक सेवक सरकार के अधीन काम करने वाला वह व्यक्ति होता है जिसके कार्य में व्यवधान डालने पर आपको जेल भी हो सकती है. अक्सर आपने आस पास देखा या सुना होगा की सरकार ने किसी की संपत्ति को जब्त कर लिया है. उस दौरान कुछ लोग इसका विरोध भी करने आते हैं और उनके खिलाफ किसी अधिकारी के द्वारा कार्रवाई की जाती है. इस तरह के अपराध को भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) 1860 में  परिभाषित किया गया है और दोषी पाए जाने पर सजा का भी प्रावधान बताया गया है.

संपत्ति जब्ति का विरोध

आईपीसी की धारा 183 में यह बताया गया है कि जिस लोक सेवक ( Public  Servant) को किसी की संपत्ति को जब्त करने का कानून की तरफ से आदेश मिलता है और उसे विरोध का सामना करना पड़ता है तो विरोध करने वाला दोषी माना जाएगा. इस धारा के अनुसार दोषी को छह महीने की जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.

नीलामी में बाधा डालना

आईपीसी की धारा 184 में यह बताया गया है कि अगर किसी लोक सेवक को जब्त की गई संपत्ति को नीलाम करने का कानूनी आदेश मिला है और वह जब संपत्ति की नीलामी कर रहा है उस समय किसी के द्वारा बाधा डाली जाए तो बाधा डालने वाला व्यक्ति कानून की नजर में दोषी माना जाएगा. जिसके लिए उसे एक महीने की जेल हो सकती है या पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजायें दी जा सकती है.

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अवैध बोली लगाना

जब कोई लोक सेवक द्वारा कानून के आदेश के तहत किसी जमीन को बेचा जा रहा हो, उसमें कोई ऐसा व्यक्ति बोली लगाएगा जिसे कानून ने बोली लगाने पर प्रतिबंध लगा रखा है, वो प्रतिबंधित व्यक्ति चाहे दूसरों के लिए ही क्यों ना बोली लगाए तब भी वह दोषी माना जाएगा. जिसके लिए कानून उसे सजा दे सकती है.

इस धारा के अनुसार इस तरह के अपराध अंजाम देने वाले व्यक्ति को एक महीने की जेल और दो सौ का जुर्माना या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.