IPC Section 307: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को 33 साल पुराने एक मामले को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि जब पक्षों ने मुद्दे को सुलझा लिया है, तो मामले की सुनवाई आगे बढ़ाना निरर्थक होगा. जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने यह निर्णय जनवरी 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad HC) के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनाया. हाई कोर्ट ने कहा था कि हत्या के प्रयास का मामला ऐसे बंद नहीं जा सकता. यह घटना 11 अगस्त 1991 की है, जब जमीन विवाद से जुड़े मामले में FIR में फायरिंग का उल्लेख किया गया था, लेकिन किसी पक्ष को कोई चोट नहीं आई थी. वहीं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अगस्त 1991 में दर्ज मामले के खिलाफ कार्यवाही को बंद करने के लिए दायर आवेदन को खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में चोट और इस्तेमाल किए गए हथियार की प्रकृति पर विचार करते हुए कहा कि IPC की धारा 307 (हत्या के प्रयास) के तहत कोई अपराध नहीं बनता. पीठ ने कहा कि इस मामले में सुनवाई को जारी रखना एक गंभीर प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा, खासकर जब विवाद सुलझ चुका है. पीठ ने कहा कि जब पक्षों ने आपसी सहमति से विवाद को सुलझा लिया है, तो मामले की सुनवाई जारी रखना निरर्थक होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस द्वारा तैयार की गई बंद रिपोर्ट को मजिस्ट्रेट द्वारा खारिज किया गया था.
पीठ ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट ने अपराध के समेटने और कार्यवाही को खत्म करने के बीच के अंतर को सही से नहीं समझा. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि केवल IPC की धारा 307 का उल्लेख मामले में अदालत को 'हाथों को पीछे हटाने' के लिए मजबूर नहीं कर सकता. अपील को स्वीकार करते हुए, पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित कार्यवाही को खत्म कर दिया है.
(खबर पीटीआई इनपुट पर आधारित है)