नई दिल्ली: जब किसी बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बीमा क्लेम करने के लिए नॉमिनी को उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देना पड़ता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है. प्रयागराज स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा कि बीमा पॉलिसी के नॉमिनी को अब उत्तराधिकार प्रमाणपत्र देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा.
यह महत्वपूर्ण आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति मंजिव शुक्ल की खंडपीठ ने आजमगढ़ निवासी सविता देवी की पुनर्विचार अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है.
इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा अदालत ने कि बीमा पॉलिसी में नामित पत्नी बीमित पति की मौत की दशा में बीमा राशि की मांग के साथ उत्तराधिकार प्रमाण पत्र देने के लिए बाध्य नहीं होगी. नॉमिनी होने के नाते पैसों के भुगतान पाने उन्हे हक है, लेकिन अगर कोई अपनी मर्जी से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र देने चाहता है तो दे सकता हैं इसमें कोई परेशानी नहीं है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, अदालत ने पहले बीमा राशि का भुगतान करने का आदेश बीमा कंपनी को दिया था. इसके बावजूद बीमा कंपनी ने उत्तराधिकार के विवाद का हवाला देते हुए पॉलिसी में नामित पत्नी याचिकाकर्ता को भुगतान करने से इंकार कर दिया था.
याचिकर्ता के अधिवक्ता डीके रघुवंशी ने अदालत को बताया कि सविता देवी के पति बृजेश कुमार मौर्य जालौन में एक सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थे. उन्होने दस लाख का बीमा करवा रखा था. पति के मौत के बाद पत्नी ने बीमा के लिए क्लेम किया. जिसपर सास-ससुर ने इसका विरोध जताया था.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुनर्विचार याचिका स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है.