देश के 51वें चीफ जस्टिस के नाम पर केन्द्र सरकार की मंजूरी मिल चुकी है. वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अगले सीजेआई के लिए जस्टिस संजीव खन्ना के नाम की पुष्टि की थी (Justice Sanjiv to be Next CJI). उम्मीद जताई जा रही है कि जस्टिस संजीव खन्ना 12 नवंबर के दिन चीफ जस्टिस पद की शपथ लेंगे. 64 वर्षीय जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल छह महीने का होगा. जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर अब तक 27 मामलों से जुड़े हैं, जिसमें से 14 मामलों में वे फैसला सुना चुके हैं, 13 मामले पेंडिंग हैं. पीएम मोदी के बायोपिक पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने का मामला हो या केजरीवाल को जमानत देने का फैसला, जस्टिस संजीव खन्ना इन मामलों का हिस्सा हैं. उन्होंने ईडी मामले में केजरीवाल को जमानत देने को लेकर तो अपना फैसला सुना दिया है लेकिन पीएम मोदी की बायोपिक वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री का मामला अभी तक पीठ के सामने पेंडिंग है, डॉक्यूमेट्री मामले में जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ को यह तय करना है कि क्या भारत सरकार द्वारा BBC डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' पर लगाया रोक फ्री स्पीच और अभिव्यक्ति (Freedom of Speech and Expression) के अधिकारों का उल्लंघन करता है या नहीं? आइये जानते हैं कि जस्टिस संजीव खन्ना के महत्वपूर्ण मामले जिसमें उन्होंने फैसला सुनाया है....
पीएम मोदी के बायोपिक से जुड़े दो मामले में सुप्रीम कोर्ट में आए हैं. पहला मामला, 2019 में इलेक्शन कमीशन ने चुनाव को देखते हुए पीएम मोदी की बायोपिक रिलीज पर रोक लगाई थी. इस चुनाव आयोग के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने चुनाव आयोग के फैसले में दखल देने से इंकार कर दिया था (Sandeep Vinod Kumar Singh v Election Commission of India). दूसरा मामला पीएम मोदी पर बने बीबीसी के डॉक्यूमेंट्री के रिलीज से जुड़ा है. केन्द्र सरकार ने 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक BBC डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाया है. यह मामला अभी जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के सामने ही लंबित हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि क्या बीबीसी डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया द मोदी क्वेश्चन' पर केन्द्र सरकार द्वारा बैन लगाना फ्रीडम ऑफ स्पीच एंड एक्सप्रेशन का उल्लंघन है?
इलेक्टोरल बॉन्ड को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोटर को अपने राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग के बारे में जानकारी होनी चाहिए. इलेक्टोरॉल बॉन्ड स्कीम राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग के स्त्रोत को मास्क करता था, इसमें केवल इस बात की जानकारी हो सकती थी कि राजनीतिक पार्टी को कितना फंडिंग मिला. वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई पांच जजों की बेंच ने Electoral bond Scheme को असंवैधानिक करार दिया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना असंवैधानिक है, क्योंकि यह मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है.
सुप्रीम कोर्ट को तलाक मामले में सीधा फैसला सुनाने की शक्ति है या नही! जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाया कि सर्वोच्च न्यायालय के पास उन पक्षों को तलाक देने की शक्ति है जो सीधे इसके पास आते हैं. सुप्रीम कोर्ट को यह यह शक्ति संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को मिली 'विवेकाधीन शक्तियों' में दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन के साथ 1989 में हुए समझौते के तहत 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मिलने वाली मुआवजे को बढ़ाने को केन्द्र सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था. केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करके मुआवजे की मांग की थी, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए केन्द्र सरकार ने दशकों बाद इस मामले को दोबारा से उठाने को लेकर कोई पुख्ता कारण नहीं बताया है, साथ ही कंपनी को अधिक से अधिक मुआवजा देने को नहीं कहा जा सकता. यह फैसला जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने सुनाया था.
सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 रद्द करने के फैसले की संवैधानिकता को बरकरार रखा है, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को मिले स्पेशल स्टेटस को रद्द कर दिया गया था. वर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है.
जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने दिल्ली के पूर्व सीएम को दिल्ली शराब नीति घोटाले में जमानत देने के फैसले पर मुहर लगाई थी. जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता की पीठ ने केजरीवाल को जमानत देते हुए उनके सीएम कार्यलय जाने पर रोक लगा दी थी, हालांकि सीएम पद से इस्तीफा देने के सवाल पर कुछ भी कहने से इंकार किया था.
संजीव खन्ना अब तक का करियर बेहद सफल रहा है, हालांकि यह देखना महत्वपूर्ण रहेगा कि उनकी अगुवाई में न्यायापालिका कितना सुदृढ़ होगी.