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जज के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने से पहले वकीलों को पूरी करनी होगी ये शर्त

एक वकील को अगर किसी जज के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करनी है तो उसे पहले एक शपथपत्र सबमिट करना होगा। शपथपत्र में क्या लिखा होना चाहिए, यह फैसला किस हाईकोर्ट ने लिया है और इसका न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम, 1985 से क्या संबंध है, आइए जानते हैं

Affidavit Mandatory before Contempt Plea Against a Judge Says Punjab Haryana HC

Written by My Lord Team |Published : June 22, 2023 5:25 PM IST

नई दिल्ली: न्यायाधीश के खिलाफ यदि किसी वकील को अवमानना याचिका दायर करनी है, तो उससे पहले एक शर्त है जिसे पूरा करना जरूरी है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) ने इस बारे में क्या बात कही है, आइए जानते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अदालत में जज के खिलाफ आने वाली तमाम अवमानना याचिकाओं पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने चिंता जताई है और अब इं याचिकाओं को दायर करने से पहले वकीलों के लिए एक शर्त रखी है।

जज के खिलाफ अवमानना याचिका 

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का यह कहना है कि वकीलों को यदि किसी न्यायाधीश के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करनी है, तो उससे पहले उन्हें एक शपथपत्र (Affidavit) देना जरूरी है।

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इस शपथपत्र में यह स्पष्ट होना चाहिए कि अवमानना याचिका क्यों दायर की जा रही है और जज द्वारा की गई कार्यवाही न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम, 1985 (The Judges (Protection) Act, 1985) के तहत संरक्षित नहीं है।

न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम, 1985

आपको बता दें कि न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम, 1985 वो अधिनियम है जो न्यायाधीशों और उनसे जुड़े मामलों में न्यायिक तौर पर काम कर रहे लोगों को संरक्षित करता है। इस अधिनियम के तहत यदि किसी न्यायाधीश ने अपने काम के दौरान, काम के लिए कुछ कहा या किया है, तो ऐसे में उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा सकेगी। काम के दौरान और उसके लिए की गई गतिविधि या बोले गए शब्दों के खिलाफ कोई सिविल या क्रिमिनल कार्यवाही नहीं होगी।

बता दें कि ये बात पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में आए एक मामले से उठी, जिसमें मोहाली के एक निवासी ने सिवल जज के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करनी चाही। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि जज पर याचिकाकर्ता ने जो आरोप लगाए थे वो गलत थे और न्यायाधीश ने जो किया, अपने काम और जिम्मेदारियों के तहत की किया।

इस मामले के बाद हाईकोर्ट ने यह माना कि वकील द्वारा अवमानना याचिका सिर्फ तभी दायर की जा सकती है जब पहले एक शपथपत्र सबमिट किया जाए।