नई दिल्ली: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) ने इंग्लैंड और वेल्स के बार काउंसिल और लॉ सोसाइटी के साथ एक समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding) साइन किया है जिसके तहत अब भारतीय वकील इंग्लैंड में प्रैक्टिस कर सकेंगे। ऐसा करने के लिए उन्हें किन शर्तों का पालन करना होगा, जानिए यहां.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि BCI ने 5 जून, 2023 को इंग्लैंड और वेल्स के बार काउंसिल (Bar Council of England and Wales) और लॉ सोसाइटी (Law Society of England and Wales) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) साइन किया है जिसके तहत दोनों देशों के वकील और लॉ स्टूडेंट्स एक दूसरे के देशों में काम कर सकेंगे।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के अनुसार इंग्लैंड और वेल्स के वकील और लॉ फर्म भारत में सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता (International Commercial Arbitration) और गैर-विवादी मामलों (Non-Litigious Matters) पर काम कर सकेंगे। इसका आधार पारस्परिक संबंध हैं यानी भारतीय वकीलों को भी उस देश में काम करना का मौका दिया जाएगा।
भारत और इंग्लैंड और वेल्स के बीच साइन हुए एमओयू की पहली अनुसूची (Schedule A) में उन शर्तों और पाबंदियों का उल्लेख किया गया है जिनका भारतीय वकीलों को इंग्लैंड में प्रैक्टिस करते समय ध्यान रखना होगा। भारतीय वकील इंग्लैंड में हर तरह का कानून प्रैक्टिस कर सकते हैं जिसमें इंग्लिश और वेल्श कानून भी शामिल है।
जिन कार्यों में भारतीय वकील हिस्सा नहीं ले सकते हैं, वो हैं- कुछ अदालतों में ऑडिएंस और ट्राइब्युनल का राइट, लिटिगेशन कंडक्ट करने का अधिकार, प्रोबेट एक्टिविटी, नोटेरियल ऐक्टिविटी और शपथ दिलाने का काम।
भारतीय वकील इंग्लैंड में बतौर सोल प्रैक्टिश्नर, किसी विदेशी फर्म में कन्सल्टेंट की तरह, सॉलिसिटर के साथ या उनके एम्प्लॉई बनकर या फिर एक इन-हाउज वकील की तरह काम कर सकते हैं।