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गोद लिए बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना है गंभीर अपराध

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO Act, 2012) वह कानून है जिसका उद्देश्य बच्चों को सभी प्रकार के यौन शोषण से संरक्षित करना और पीड़ित बच्चों को उचित न्याय दिलाना है.

Written by My Lord Team |Published : March 21, 2023 12:53 PM IST

नई दिल्ली: हमें अक्सर बच्चों के साथ हुए अपराध और शोषण की खबरें सुनने को मिलती है. चूंकि बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते हैं, ऐसे में आपराधिक प्रवृत्ति के लोग बच्चों की मासूमियत का फायदा उठाते हैं और मानसिक प्रताड़ना व यौन-शोषण जैसे अपराध को अंजाम देते हैं. ऐसा ही एक मामला प्रयागराज के प्रीतम नगर का है, जहां पुलिस ने एक 11 वर्षीय लड़की को कथित रूप से प्रताड़ित करने के आरोप में एक दंपति को POCSO Act के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया.

इसी तरह बच्चों के प्रति होने वाले अपराध जैसे यौन-शोषण, उत्पीड़न आदि पर प्रभावी अंकुश लगाने और उन्हें संरक्षण देने के लिए POCSO Act, 2012 लागू किया गया है. इस अधिनियम के तहत ऐसे अपराधी के लिए सजा के प्रावधान किए गए हैं.

क्या है मामला

एक बच्चा जो सबसे ज्यादा अपने मां-बाप पर विश्वास करता है, अगर उसके माता-पिता ही भक्षण करने लग जाए तो क्या होगा. यह मामला प्रयागराज के प्रीतम नगर मोहल्ले का है, जहां पुलिस ने एक 11 वर्षीय लड़की को कथित रूप से प्रताड़ित करने के आरोप में एक दंपति को गिरफ्तार किया है. नेवा पुलिस चौकी प्रभारी प्रीत पांडेय की शिकायत के आधार पर अरुण सिन्हा जो पेशे से शिक्षक है और उनकी पत्नी अंजना के खिलाफ डिजिटल रेप, मारपीट और IPC की अन्य संबंधित धाराओं और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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आपको बता दें, यह दंपति निःसंतान था और दंपति ने पिछले साल लखनऊ के एक अनाथालय से 10 साल की बच्ची को गोद लिया था. लेकिन उसके बाद उन्होंने उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.

यह मामला तब बाहर आया जब बच्ची के हाथ में फ्रैक्चर होने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. जांच के दौरान डॉक्टरों को उसके शरीर पर यातना के निशान मिले, और उसके गुप्तांग से लकड़ी के टुकड़े भी मिले.

पुलिस के मुताबिक प्राथमिक जांच के अनुसार मूल रूप से पटना का रहने वाला आरोपी दंपति प्रयागराज के प्रीतम नगर मोहल्ले में एक अपॉर्टमेंट में रहता है. धूमनगंज के SHO राजेश कुमार मौर्य ने कहा कि आरोपियों को जेल भेज दिया गया है.

पॉक्सो एक्ट (POCSO Act)

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO Act, 2012) वह कानून है जिसका उद्देश्य बच्चों को सभी प्रकार के यौन शोषण से संरक्षित करना और पीड़ित बच्चों को उचित न्याय दिलाना है. इस अधिनियम के तहत नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों की जांच के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना और उनसे जुड़े मामलों के लिए प्रावधान किए गए हैं.

बच्चों के खिलाफ किसी भी तरह के यौन अपराध, पोर्नोग्राफी, या बच्चों के प्रति अपराध करने के लिए उकसाने के लिए इस अधिनियम के द्वितीय, तृतीय और चौथे अध्याय में अपराध के अनुसार कम से कम तीन साल और अधिकतम आजीवन कारावास के साथ साथ जुर्माने का भी प्रावधान है.

शिकायत अवश्य दर्ज कराएं

एक जिम्मेदार नागरिक का यह कर्तव्य है कि यदि वह अपने आस पास ऐसा कोई अपराध घटित होते हुए देखता है तो पुलिस में अपराधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराए. इसके लिए आपको पॉक्सो एक्ट के बारे में जागरूक होना जरूरी है. यह अधिनियम यौन शोषण के पीड़ित बच्चों को न्याय दिलाने के लिए एक मजबूत न्याय तंत्र प्रदान करने में सहायक रहा है और यह बाल अधिकारों और सुरक्षा के महत्व पर जोर देता है.

इस अधिनियम के विषय में बढ़ती जागरूकता के फलस्वरूप बाल यौन शोषण के मामलों के रिपोर्टिंग में भी वृद्धि हुई है. अधिनियम में गैर-मर्मज्ञ यौन हमले और गंभीर प्रवेशन यौन हमले दोनों के लिए सजा शामिल है.

Online Complaint: इस अधिनियम के तहत ऐसे अपराध के खिलाफ आप National Child Protection Commission के पास घर बैठे ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं.