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किसी भी धार्मिक सभा में व्यधान डालना है अपराध, जानिए IPC में क्या है सज़ा

धारा 296 के अंतर्गत परिभाषित अपराध एक जमानती और संज्ञेय अपराध है. इस तरह के मामलों में अपराधी को बिना वारंट Warrant के गिरफ्तार किया जा सकता है. इस तरह के अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है.

Written by My Lord Team |Published : February 9, 2023 11:45 AM IST

नई दिल्ली: हमारा देश विविधताओं का देश है, जहाँ पर विभिन्न धर्मों का पालन करने वाले, विभिन्न भाषाएं बोलने वाले और विभिन्न संस्कृतियों से संबंध रखने वाले लोग रहते हैं. इन सभी भिन्नताओं के बीच, धर्म लोगों के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है. और एक राष्ट्र के रूप में, साथ रहने के लिए विभिन्न धर्मों के प्रति सहयोग, सहनशीलता और स्वतंत्रता बहुत जरूरी है.

इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर हमारे संविधान में प्रत्येक नागरिक को कई मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं. इन अधिकारों के साथ-साथ आपराधिक कानून में भी प्रावधान बनाए गए हैं, जिसके जरिए प्रशासन यह सुनिश्चित करता है कि यदि कोई व्यक्ति समाज के किसी वर्ग की धार्मिक आस्था को आहत करता है या उसका प्रयास करता है, तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.

हमारा देश दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में जाना जाता है, विविधताओं से भरे हमारे देश में धार्मिक सहनशीलता और सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए IPC की धारा 296 में सख्त प्रावधान किए गए है जो उन व्यक्तियों को दंडित करते है जो किसी विशेष धार्मिक सभा में इस हद तक विघ्न पैदा करते हैं या प्रयास करते है कि किसी धार्मिक वर्ग के नागरिक अपनी पूजा या धार्मिक अनुष्ठान को पूरा ना कर पाएं.

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धार्मिक सभा में विघ्न डालना

IPC की धारा 296 के अनुसार जो भी कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी भी तरह की सभा में बाधा उत्पन्न करता है जो विधिपूर्वक धार्मिक पूजा या धार्मिक अनुष्ठान करने में लगी हुई थी, तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है.

यदि आरोपी का दोष साबित होता है तो उसे 1 साल के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.

इस अपराध के मुख्य तत्व

धारा 296 के अंतर्गत अपराध को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष को तीन तत्वों को अनिवार्य रूप से साबित करना होता है.

1· आरोपी द्वारा स्वेच्छा से किए गए कार्य से कोई बाधा उत्पन्न हुई थी; और

2· वह बाधा किसी ऐसी सभा में डाली गई जो धार्मिक पूजा या धार्मिक अनुष्ठान में लगी हुई थी; और

3· वह सभा लोगों की एक विधि सम्मत सभा थी.

अपराध की श्रेणी

IPC की धारा 296 के तहत परिभाषित अपराध एक जमानती और संज्ञेय अपराध है. इस तरह के मामलों में अपराधी को बिना वारंट Warrant के गिरफ्तार किया जा सकता है. इस तरह के अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है.