नई दिल्ली: लोक सेवक या सरकारी अधिकारी यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि सरकार द्वारा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाया जा सके. उन्हें उन सभी गतिविधियों, जांचों और प्रोटोकॉल के लिए जवाबदेह ठहराया जाता है जो अदालती कार्यवाही और न्याय के प्रशासन से संबंधित हैं. लोक प्राधिकरण, न्यायपालिका के साथ, न्याय के संरक्षक कहलाते हैं जो निष्पक्ष रहने के साथ देश के कानून द्वारा निर्धारित सभी प्रक्रियाओं और निर्देशों का पालन करते हैं.
लेकिन जब लोक सेवक कोई अपराध करते हैं, तो इससे पूरी सरकारी व्यवस्था पर असर पड़ता है और अशांति का माहौल पैदा होता है. देश की प्रगति लोक सेवकों की ईमानदारी पर निर्भर करती है, लेकिन लोक सेवक कई बार अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन नहीं करते हैं तो यह अपराध माना जाता है. आपको बताते हैं कि किन स्थितियों में लोक सेवक द्वारा कर्तव्य का उल्लंघन एक अपराध की श्रेणी में आता है.
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 166 के तहत यदि कोई लोक सेवक, जानबूझकर कानून के किसी भी निर्देश की अवज्ञा करता है, जिस तरह से उसे ऐसे लोक सेवक के रूप में आचरण करना है, और इसके पीछे उसका इरादा है या उसे पता है कि ऐसी संभावना है कि वह इस तरह की अवज्ञा से किसी भी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाएगा, तो ऐसे सरकारी कर्मचारी (लोक सेवक) के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
दोषी पाए जाने पर लोक सेवक को एक साल तक के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.
भारतीय दंड संहिता की धारा 166A के अनुसार, यदि कोई लोक सेवक:
इन तीनों ही मामलों में उस लोक सेवक के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और दोष सिद्ध होने पर दो साल तक के कारावास और जुर्माने की सज़ा हो सकती है.
धारा 167 IPC के अनुसार यदि कोई लोक सेवक, ऐसे लोक सेवक होने के नाते, किसी भी दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की तैयारी या अनुवाद को तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई हो, और वह उस दस्तावेज़ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को तैयार या अनुवाद करता है जो की गलत है, और वो जानता है या उसे पता है कि ऐसी सम्भावना है कि वह अन्य व्यक्ति को किसी प्रकार की क्षति पहुंचा सकता है तो ऐसे लोक सेवक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस धारा के अंतर्गत दोष साबित होने पर उस लोक सेवक को तीन साल तक के कारावास या जुर्माने या दोनों की सज़ा हो सकती है.
लोक सेवक यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार के सभी पहलू सुचारू रूप से कार्य करें. वे विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए जवाबदेह हैं जो जांच और अदालती कार्यवाही में सहायता करती हैं. जिन्हें कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए गैर-पक्षपाती माना जाता है, लेकिन जब वह अपने कर्तव्यों की अवहेलना करते हैं तो उनके खिलाफ उपरोक्त मामलों में मुकदमा दर्ज़ किया जा सकता है और सख्त सज़ा का सामना करना पड़ सकता है.