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LMV लाइसेंस धारक चला सकते हैं 7500 किलो से कम वजन के ट्रांसपोर्ट वाहन, सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच का बड़ा फैसला

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि LMV (लाइट मोटर व्हीकल) लाइसेंस धारक 7500 किलो से हल्के ट्रांसपोर्ट वाहन भी चला सकते हैं.

Written by Satyam Kumar |Updated : November 6, 2024 11:46 AM IST

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ के फैसले से आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी, जो लाइट व्हेकिल लाइसेंस से ट्रांसपोर्ट वाहन चला रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी हक में फैसला सुनाया. फैसले में सर्वोच्च अदालत ने कहा कि LMV (लाइट मोटर व्हीकल) लाइसेंस धारक 7500 किलो से हल्के ट्रांसपोर्ट वाहन भी चला सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनियों (Insurance Company) को साफ कर दिया है कि अगर ऐसे में कोई दुर्घटना हो जाती है तो वे इंश्योरेंस के पैसे देने से लोगों को मना नहीं कर सकती है.

सड़क सुरक्षा के साथ रोजगार का मामला

सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने LMV लाइसेंस मामले में अपना फैसला सुनाया है. इस पीठ में जस्टिस मनोज मिश्रा जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पंकल मिथल शामिल हैं. बेंच  की ओर से जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने फैसला लिखा.

अपने फैसले में जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने कहा है कि सड़क सुरक्षा के साथ साथ लोगों के रोज़गार से जुड़ा मामला भी कोर्ट के सामने था. इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि सड़क सुरक्षा दुनिया भर में एक अहम मुद्दा है, वहीं अगर रिपोर्ट की मानें तो पिछले साल, 2023 में 1.7 लाख लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई है. जस्टिस राय ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं के लिए सिर्फ लाइट मोटर व्हीकल लाइसेंस धारको को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. इन दुर्घटनाओं के पीछे दूसरी वजह भी है.

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बीमा कंपनियों को देना पड़ेगा इंश्योरेंस

सुप्रीम कोर्ट ने मुकुंद देवांगन बनाम बजाज एलियांज मामले में अपने फैसले को बरकरार रखा है. साल 2017 में मुकुंद देवांगन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लाइट व्हेकिल लाइसेंस धारक अपना 7500 कम वजन के ट्रांसपोर्ट वाहन चला सकते हैं. 2022 में औरिएंटल इंश्योरेंस बनाम रंभा देवी मामले में इसे चुनौती दी गई थी, अब इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लाइट व्हेकिल लाइसेंस धारक 7500 केजी से  हल्के ट्रांसपोर्ट वाहन चला सकते हैं. अगर विषम परिस्थितियों में कोई दुर्घटना होती है तो बीमा कंपनियों को मुआवजा देना पड़ेगा.

केन्द्र सरकार ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से कहा था कि आपको इस मामलें कानून बनाने की जरूरत है क्योंकि ये मामला आजीविका के साथ-साथ सड़क सुरक्षा से जुड़ा है. अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने कोर्ट को सूचित किया कि सरकार, राज्यों सहित इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की राय मांग रही है और इस कार्य में थोड़ा वक्त लगेगा. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया वे इस मामले पर अपना फैसला मौजूदा तथ्यों और दलीलों के आधार पर करेंगे.

इंश्योरेंस कंपनियों की क्या मांग थी?

इंश्योरेंस कंपनियों, इस बात को लेकर चितिंत थी कि सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े इंश्योरेंस क्लेम के ऐसे मामले उनके सामने आ रहे थे, जिसमें LMV लाइसेंस धारक हल्के ट्रांसपोर्ट वाहन चला रहे थे. कंपनियों ने दावा किया कि मोटर व्हेकिल एक्ट की धारा 10(2) डी, दोनों तरह की गाड़ियो के लिए अलग-अलग लाइसेंस की बात करती है, ऐसे में LMV लाइसेंस पर 7500 कम वजन के ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने देना उचित नहीं है. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से इंश्योरेंस कंपनियों को बड़ा झटका लगा है.