सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल में चाइल्ड पोर्न रखना-देखना अपराध बताया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी रखना-देखना आईटी एक्ट व पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध है (Viewing-Storing Child Pornography on Phone is Crime under POCSO & IT Act). सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि बच्चों के साथ यौन अपराध से जुड़े वीडियो को सिर्फ डाउनलोड करना, देखना या उसे अपने पास इलेक्ट्रॉनिक गजेट में रखना भी अपराध माना जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में पॉक्सो अधिनियम की धारा 15(2) और 15 (3) के तहत चाइल्ड पोर्नग्राफी के अपराध में सजा का प्रावधान करती है. वहीं, सूचना प्रोद्योगिकी (IT Act) की धारा 67 भी इस तरह के कंटेट को रखने-शेयर करने को लेकर सजा का प्रावधान है.
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द किया जिसमे हाई कोर्ट ने कहा था कि अपने फोन में बच्चों के साथ यौन शोषण के वीडियो को सिर्फ रखने भर से किसी को पॉक्सो कानून और IT कानून की धारा 67B के तहत आरोपी नहीं बनाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दोबारा से ट्रायल कोर्ट के पास भेज दिया है. कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि भले ही उस वीडियो को किसी शख्स ने पब्लिश न किया हो या फिर किसी दूसरे शख्स को न भेजा हो लेकिन अगर वो ऐसे वीडियो को अपने पास रखता है तो वो भी अपराध माना जाएगा.
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड प्रोर्नोग्राफी टर्म के प्रयोग पर लगा दिया है, साथ ही मामले पॉक्सो अधिनियम में संशोधन करने के निर्देश दिए हैं.वहीं सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह पर बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री (Child Sexual Exploitative and Abuse Material) पर प्रयोग करने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि मोबाइल में चाइल्ड पोर्नोग्राफी रखना-देखना अपराध है. सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान पॉक्सो अधिनियम की धारा 15(2) और 15(3) के तहत अपराध माना है.
पॉक्सो अधिनियम की धारा 15(2) के अनुसार बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री रखने का अपराध है. अगर इस किसी शख्स को इसमें सजा होती है तो उसे तीन साल जेल व जुर्माना दोनो लगाया जा सकता है. पॉक्सो अधिनियम की 15(3) के अनुसार भी अगर बच्चों से संबंधित अश्लील कंटेट को शेयर करने को अपराध बताता है. इसके तहत अपराध साबित होने पर तीन साल जेल की सजा व जुर्माना, दोनों का प्रावधान है. वहीं दूसरी बार पकड़े जाने पर कम-से-कम पांच साल की सजा का प्रावधान है.
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री को प्रचारित करने को अपराध घोषित करती है. आईटी एक्ट की धारा 67 के अनुसार अगर कोई शख्स अश्लील सामग्री प्रसारित करते हुए पकड़े जाता है तो उसे तीन साल जेल की सजा व पांच लाख का जुर्माना लगाया जाता है. साथ ही अगर दोबारा से अपराध साबित होता है तो आरोपी को दस साल जेल व दस लाख का जुर्माना लगाने का प्रवाधान है.