नई दिल्ली: कोई भी छात्र जब किसी नये शैक्षणिक संस्थान में दाखिला लेता है तो उनके मन में उत्साह के साथ - साथ एक डर या झिझक भी रहता है कि कहीं उनके साथ रैगिंग तो नहीं होगा. यह एक ऐसा अपराध जिसकी गंभीरता का अंदाजा इस बात से आप लगा सकते हैं कि इसके कारण पीड़ित छात्र या छात्रा अपनी जान तक दे देते हैं. विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है और इसके खिलाफ सख्त नियम बनाये गए है, फिर भी ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. इसलिए रैगिंग को हमारे देश में एक अपराध माना जाता है.
रैगिंग के कई रूप हैं लेकिन मूल उद्देश्य इसका एक ही होता है और वो है सीनियर्स द्वारा अपने जूनियर्स को परेशान कर उन्हे शारीरिक या मानसिक रूप से नुकसान पहुंचा कर उन पर अपना दबदबा बनाना.
कॉलेजों में सीनियर्स द्वारा जूनियर्स के साथ इंट्रोडक्शन के नाम पर किसी भी तरह के उत्पीड़न को रैगिंग कहते है.आमतौर पर रैगिंग में सीनियर्स द्वारा जूनियर्स को नाचने, कपड़े उतारने या अन्य अनुचित बातें करने को कही जाती है जिससे उन्हें अपमानित किया जा सके.
यद्यपि रैगिंग के खिलाफ कोई राष्ट्रव्यापी अधिनियम नहीं है, लेकिन इसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंधित किया गया है. सभी राज्यों के इस बारे में अपने अलग अधिनियम हैं, प्राथमिक नियम, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की धारा 26 के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा बनाए गए हैं.
इस अधिनियम के तहत रैगिंग को किसी छात्र के बारे में कुछ बोलना या उसके बारे में कुछ लिखना या कोई ऐसा कार्य जैसे किसी छात्र को छेड़ने या अशिष्टता के साथ पेश आना जिससे, उस छात्र को शारीरिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान या झुंझलाहट का सामना करना पड़े. यहां तक कि छात्र को नाचने या गाने या ऐसा कुछ भी करने के लिए कहना जिससे उसे करने में शर्म आती है तो उसे रैगिंग कहते है.
● रैगिंग के लिए उकसाना
● रैगिंग करने की आपराधिक साजिश
● रैगिंग के दौरान गैरकानूनी असेंबली और दंगा करना
● रैगिंग के द्वारा सार्वजनिक उपद्रव पैदा करना
● रैगिंग के माध्यम से शालीनता और नैतिकता का उल्लंघन करना
● शारीरिक चोट पहुंचाना
● निश्चित दिशा में जाने से रोकना
● अवैध बंधी
● ज़बरदस्ती वसूली करना
विश्वविद्यालयों के प्रवेश प्रपत्रों में किसी भी प्रकार की रैगिंग प्रतिबंधित होने का उल्लेख होना चाहिए, साथ ही प्रवेश लेने वाले छात्रों को एक अंडरटेकिंग भी भरनी होगी जिसमें यह लिखा होना चाहिए की छात्र ऐसी किसी भी रैगिंग संबंधित गतिविधि का हिस्सा नहीं होंगे और उन्हें पता है कि रैगिंग प्रतिबंधित है.
जबकि जब नए छात्र आते हैं तो उन्हें यह बताने के लिए पत्रक दिए जाने चाहिए कि यदि वे रैगिंग का सामना करते हैं तो वह किससे संपर्क करें,, उस व्यक्ति के फोन नंबर सहित और यह वार्डन, प्रोवोस्ट आदि कोई हो सकते हैं. पत्रक में यह भी उल्लेख होना चाहिए कि छात्रों को कोई भी अनुचित मांग को पूरा करने की आवश्यकता नहीं है और उनके मन में यह विश्वास पैदा होना चाहिए की वह इस जगह पर वे सुरक्षित है.
रैगिंग रोकने के लिए UGC द्वारा बनाए गए नियमों के तहत रैगिंग के लिए सजा को विशेष रूप से निर्धारित किया गया है. इसमें कहा गया है कि जो कोई भी रैगिंग का दोषी पाया जाता है उसे कार्य की गंभीरता के आधार पर उसे दण्डित किया जायेगा.
● विश्वविद्यालय छात्र को कक्षाओं में पड़ने और उसमे हिस्सा लेने से निलंबित कर सकती है
● यूनिवर्सिटी छात्र की स्कालरशिप या परीक्षा का परिणाम रोक सकती है
● यह छात्रों को परीक्षा देने से भी रोक सकती है
● छात्र को छात्रावास से निकला जा सकता है
● छात्र का एडमिशन रद्द हो सकता है
● विश्वविद्यालय से चार सेमेस्टर (1-4) के लिए निलंबित किया जा सकता है
● उस पर पच्चीस हजार से एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है
● यदि विश्वविद्यालय रैगिंग करने वाले का पता लगाने में असमर्थ है, तो विश्वविद्यालय को सामूहिक दंड का भी सहारा ले सकती है.