हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालय संस्थान आयोग या एआईसीटीई (UGC Or AICTE) द्वारा रिटायमेंट वर्ष में संसोधित नियम राज्य के विश्वविद्यालयों पर तब तक लागू नहीं होगा, जब राज्य सरकार इसे स्वीकृति नहीं देती है. तब तक राज्य के विश्वविद्यालयों को राज्य द्वारा निर्धारित रिटायरमेंट आयु के अनुसार ही कार्य करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पीजे धर्मराज की सिविल अपील पर आई, जिसमें उन्होंने अपनी रिटायरमेंट की उम्र सीमा को चुनौती दी थी. अपीलकर्ता के सीएसआईआईटी के निदेशक पर पद से रिटायर होने के दो दिन बाद यूजीसी और एआईसीटीई ने रिटायरमेंट की उम्र सीमा 65 वर्ष तक कर दी. पीजे धर्मराज ने इस संशोधन की लाभ के मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. आइये जानते हैं कि सुनवाई के दौरान क्या-कुछ नई बातें सामने आई...
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ जस्टिस प्रसन्ना वी वराले की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. जस्टिस विक्रम नाथ ने फैसला सुनाया कि जेएनटी विश्वविद्यालय से संबद्ध सीएसआईआईटी के शिक्षकों को राज्य के नियमों के अनुसार 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता के 65 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया, क्योंकि संशोधित नियमों को तेलंगाना राज्य द्वारा अपनाए बिना, सीएसआईआईटी के लिए मौजूदा सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताते हुए कहा कि केवल उनके लिए विशेष आदेश देने पर शिक्षकों के साथ असमानता होगी.
बहस के दौरान प्रतिवादियों ने कहा कि यूजीसी के संशोधन को तेलंगाना राज्य ने लागू नहीं किया था, इसलिए अपीलकर्ता के मामले में इसे लागू नहीं किया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि अपीलकर्ता ने अपने शिक्षण कार्य को साबित करने में असफल रहे हैं और वे एडमिनिस्ट्रेटिव पद से सेवानिवृत हुए हैं, इसलिए भी रिटायरमेंट में संशोधन नियम उनके मामले में लागू नहीं किया जा सकता है क्योंकि यूजीसी और एआईसीटीई के नियम शिक्षण कार्य में लगे शिक्षकों के लिए हैं.
केस टाइटल: पीजे धर्मराज बनाम चर्च ऑफ दक्षिण भारत एवं अन्य (PJ DHARMARAJ vs CHURCH OF SOUTH INDIA & ORS.)