सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कथित पेपर लीक के कारण यूजीसी-नेट 2024 परीक्षा रद्द करने के केंद्र के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, कहा कि इससे अनिश्चितता और घोर अराजकता बढ़ेगी. सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यूजीसी नेट की परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने इस बात पर ध्यान दिया कि परीक्षा 21 अगस्त को दोबारा से आयोजित की जाएगी.
परीक्षा 18 जून को आयोजित की गई थी और 19 जून को परीक्षा रद्द कर दी गई थी. परीक्षा अब 21 अगस्त को निर्धारित है और याचिका परीक्षा रद्द करने को चुनौती देती है और अब दो महीने बीत चुके हैं, वर्तमान चरण में याचिका पर विचार करने से केवल अनिश्चितता और घोर अराजकता ही बढ़ेगी.
पीठ ने आगे कहा,
21 अगस्त को नौ लाख उम्मीदवार परीक्षा के लिए उपस्थित होंगे और इसलिए इस देरी को चुनौती नहीं दी जा सकती है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को अब किसी तरह की निश्चितता होनी चाहिए. इसने कहा कि केंद्र सरकार को नीट-यूजी की गड़बड़ी के बाद दोगुनी सावधानी बरतनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट 18 जून को आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द करने और 21 अगस्त को फिर से परीक्षा आयोजित करने के अधिकारियों द्वारा लिए गए फैसले को चुनौती देने वाले उम्मीदवारों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कथित प्रश्नपत्र लीक के बाद केंद्र ने 19 जून को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-नेट) को रद्द कर दिया था और मामले को जांच के लिए सीबीआई को भेज दिया था. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सीबीआई द्वारा पेपर लीक के आरोपों की जांच पूरी होने तक यूजीसी-नेट परीक्षा की फिर से परीक्षा पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी. यूजीसी-नेट की परीक्षा जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और सीनियर रिसर्च फेलोशिप (एसआरएफ) सहित शोध के अवसरों को आगे बढ़ाने के लिए उम्मीदवारों की पात्रता निर्धारित करती है.