नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने दिल्ली पुलिस से कहकर एक 20 वर्षीय लड़की को सिक्योरिटी दिलवाई है। बता दें कि इस लड़की का यह कहना है कि उसे अपने ही परिवार के सदस्यों से खतरा है। यदि कोई शख्स अपने ही परिवार में असुरक्षित महसूस करता है तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किस तरह प्रोटेक्शन प्राप्त कर सकता है, आइए जानते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (Article 21 of The Indian Constitution) में 'जीने के अधिकार' (Right to Life) और 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता' (Personal Liberty) के बारे में विस्तार से बताया गया है।
संविधान का यह अनुच्छेद यह कहता है कि "किसी भी शख्स को उसके जीने के अधिकार या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं रखा जा सकता है; जब तक उस विषय में कानून के तहत कोई कार्रवाई न चल रही हो।"
अपने ही परिवार में हैं असुरक्षित?
बता दें कि संविधान का अनुच्छेद 21 हर व्यक्ति को जीने का अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान कर्ता है जिसका उल्लंघन कोई भी नहीं कर सकता है, देश भी नहीं।
इस अधिकार के तहत आप अपनी जान की सुरक्षा की मांग कर सकते हैं फिर वो चाहे आपके परिवार से ही क्यों न हो।
सुप्रीम कोर्ट ने आज, बुधवार को, दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि वो 20-साल की एक लड़की को सुरक्षा प्रदान करें क्योंकि उसका यह दावा है कि उसकी जान को उसी के परिवार वालों से खतरा है।
बता दें कि 2022 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने इस लड़की को 'अपने बल पर जिंदगी जीने का अधिकार' प्रदान किया गया था।
यह मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी (Justice Bela M Trivedi) और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा (Justice Prashant Kumar Mishra) की अवकाशकालीन पीठ के पास है जहां लड़की ने कोर्ट को अवगत कराया कि उसके परिवार वाले उसके साथ जबरदस्ती कर रहे थे और उसपर शदी करने के लिए दबाव डाल रहे थे, इसलिए वो भागकर वाराणसी चली गई और वहीं रहने लगी।
सुप्रीम कोर्ट की इस अवकाशकालीन पीठ ने लड़की की सुरक्षा की बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस से इसे प्रोटेक्शन देने के लिए कहा है।